Sunday, 1st June 2025

सुखद संयोग / 27 मई हर तरह के कार्यों के लिए शुभ क्योंकि इस दिन गुरुपुष्य योग, 27 नक्षत्रों में यह आठवां और सर्वश्रेष्ठ

Sat, May 9, 2020 6:00 PM

रायपुर. इस महीने के आखिरी गुरुवार को पुष्य योग का बेहद महत्वपूर्ण योग बन रहा है। ज्योतिष विज्ञान में इस योग की बहुत महत्ता बताई गई है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता मिलती है और शुभता में वृद्धि भी होती है। साथ ही व्यक्ति को सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है। 
ज्योतिषाचार्य डॉ. दत्तात्रेय होस्केरे के मुताबिक इस तरह का संयोग बहुत कम ही बनता है। इस बार यह संयोग 27 मई की सुबह 5.57 बजे से 28 मई (गुरुवार) की सुबह 5.53 बजे तक रहेगा। यह पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है, जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के साथ गुरुवार का दिन होना इसके महत्व को और भी बढ़ा देता है। माना जाता है कि इस नक्षत्र में जो भी कार्य किए जाते हैं, उसका परिणाम बेहतर ही होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार, सहनशील और परोपकारी होते हैं। धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है, लेकिन बचपन में इन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। 
राहत देने वाला होगा: अप्रैल का महीना संकट भरा रहा है। गुरुपुष्य और गुरु और शनि का वक्री होना देश दुनिया के लिए कुछ राहत देने वाला हो सकता है। कई अटकी योजनाएं और कार्य मई में बनेंगे। चिकित्सा के क्षेत्र में भी सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम देखने को मिल सकते हैं। लोगों में क्षमताओं को बढ़ाने का जोश और उत्साह बढ़ेगा।

गुरु को मंत्री का दर्जा, मिलेंगे स्थायी फल

पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है, जो स्थायी होता है। अर्थात इस नक्षत्र में किए गए कार्यों में स्थायित्व का भाव मौजूद होता है। यदि आपको कुछ ऐसे काम करने हैं, जिनमें आप जल्द से बदलाव की इच्छा न रखते हैं और उसकी स्थिरता चाहते हों तो इस नक्षत्र में कार्य करना बेहतर होगा। साथ ही गुरु (बृहस्पति) को ग्रहों में मंत्री का स्थान प्राप्त है और गुरु की दृष्टि को गंगाजल के समान पवित्र भी माना गया है।
गुरुपुष्य में ये कर सकते हैं 

यात्रा का आरंभ करना, विद्या ग्रहण करना, नए शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेना हो या फिर गुरु से मंत्र शिक्षा पाना, आध्यात्मिक उन्नति, धार्मिक अनुष्ठान, राजकीय कार्यों में सफलता दिलाने के साथ ही यह नक्षत्र नेतृत्व की संभावना को बढ़ाता है। इस योग को अपनाने से पूर्व चंद्रमा कमजोर नहीं होना चाहिए। साथ ही गुरु शुक्र ग्रहों का अस्त होना, ग्रहण काल, श्राद्ध पक्ष इत्यादि पर भी ध्यान देने के बाद ही इस योग को ग्रहण करना लाभदायक होता है।

इस योग में हर कार्य शुभ सिवाय विवाह करने के 
पुष्य नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है जो स्थायित्व प्रदान करने वाला ग्रह है। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक गुरूवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र आता है तब बड़ा ही उत्तम योग बनता है। विवाह को छोड़कर इस योग में हर शुभ कार्य किए जा सकते हैं। गुरू स्वर्ण, धन एवं मांगलिक कार्यों के कारक हैं। इसलिए गुरू पुष्य योग में सोना, वाहन अथवा स्थायी संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो भी धन अर्जित करते हैं वह स्थायी रहता है। मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र को एक शाप मिला है इसलिए इस नक्षत्र में विवाह कार्य नहीं किया जाता है। पुष्य नक्षत्र आमतौर पर शुभ होता है लेकिन शुक्रवार के दिन अथवा बुधवार के दिन यह नक्षत्र हो तब कोई नया काम कभी नहीं करना चाहिए और न ही खरीदारी करनी चाहिए।

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