Sunday, 8th June 2025

सिर पर रखे थैले और कांधों पर ऊंघते बच्चे ही जिंदगी की उम्मीद, भूखे पेट हजार किमी का पैदल सफर इसी आस में कि कैसे भी घर पहुंच जाएं

Fri, May 8, 2020 4:14 PM

 

  • भोपाल के आसपास के पांच नेशनल और स्टेट हाईवे से गुजर रहे मजदूरों की कहानी
  • सच यह है कि इन हालातों में मजदूरों को शहरों में जिंदा रहने का भरोसा नहीं रह गया है
 

भोपाल. माफ कीजिएगा.. सरकारे चाहें जितनी बातें करें, लेकिन सच यह है कि इन हालातों में मजदूरों को शहरों में जिंदा रहने का भरोसा नहीं रह गया है। 600 किमी पैदल चलने के बाद विदिशा रोड से गुजरते हुए शमीम का यह जवाब प्रवासी श्रमिकोण्ं के शहर से लौटने की पीड़ा बयां करता है। ग्यारह मील से ओबेदुल्लागंज, सीहोर से भोपाल, भाेपाल से विदिशा और रायसेन रोड से गुजर रहे ये मजदूर महीने भर पहले तक किसी कपड़ा फैक्ट्री में कॉन्टैक्ट श्रमिक थे या बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे थे। लाॅकडाउन के चलते इन्हें इस महीने की पगार भी नहीं मिली है। कब मिलेगी.. इसका भी कोई जवाब नहीं है। इसलिए निकल पड़े हैं और अपनी धुन में चले जा रहे हैं। सिर पर रखे थैले और कांधों पर ऊंघते बच्चे ही इनकी बची-खुची उम्मीदें हैं।

गनीमत है परिवार को पहले भेज दिया था

  • अहमदाबाद से भोपाल के 4 हजार मांगे थे, इसलिए पैदल चल पड़ा दिव्यांग
    नेमावर के 50 वर्षीय इंदर सिंह बाएं पैर से दिव्यांग है। वे अहमदाबाद की श्री बालाजी इंडस्ट्रियल सर्विस में 9 हजार रुपए महीने पर काम करते हैं। 1 मई को कॉन्ट्रैक्टर ने कारखाना लंबे समय तक बंद करने की खबर दी। 2 मई की रात 10 बजे अहमदाबाद से पैदल चल दिए। तब से एक भी रात सोए नहीं हैं। बीच में एक बस कंडक्टर ने अहमदाबाद से भोपाल का किराया 4 हजार रुपए मांगा, उतने पैसे नहीं थे। ये अच्छा है कि पत्नी-बच्चों को लॉकडाउन से पहले ही घर भेज दिया था।

कानपुर का वादा कर गलत ट्रक में बैठाया

  • मुंबई से पांच दिन में पैदल ललितपुर पहुंचे पुलिस ने ट्रक से उल्टा भोपाल भेज दिया 
    लखीमपुर के मोहम्मद सलीम 10 दोस्तों के साथ मुंबई से 2-3 मई की रात करीब 1 बजे निकले थे। 5 दिन तक पैदल चलने के बाद बुधवार रात 10 बजे ललितपुर तक पहुंच भी गए। यहां चैक पोस्ट पर पुलिस ने एक घंटे पूछताछ की और ट्रक में बैठाकर कानपुर भेजने का भरोेसा दिलाया। पुलिस ने झांसी से होकर कानपुर जाने वाले ट्रक में बैठाने के बजाय भोपाल जा रहे ट्रक में बैठा दिया। पता तब चला जब भोपाल विदिशा बायपास पर पहुंच गए। अब दोबारा लखीमपुर जाने के लिए भोपाल से सफर शुरू किया है। सलीम मुंबई में मजदूरी करते हैं।

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