Sunday, 1st June 2025

भ्रष्टाचार पर एफआईआर / ईओडब्लू ने निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता समेत दो के खिलाफ केस दर्ज किया

Thu, May 7, 2020 5:06 PM

 

  • गरीबों के मुफ्त इलाज के पैसों से एमजीएम अस्पताल का कर्ज चुकाने का आरोप
 

रायपुर. अवैध फोन टैपिंग और दुर्ग में जमीन घोटाले में फंसे निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ ईओडब्लू ने अब सरकारी पैसों के गलत उपयोग के आरोप में भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है। निलंबित डीजी पर एमजीएम नेत्र अस्पताल को मिली 3 करोड़ की सरकारी मदद के गलत उपयोग का आरोप है। सरकार ने 3 करोड़ का बड़ा अनुदान गरीबों के फ्री इलाज के लिए दिया था, लेकिन अस्पताल के प्रधान ट्रस्टी निलंबित डीजी के पिता जयदेव गुप्ता और डायरेक्टर दीपशिखा अग्रवाल के साथ निलंबित डीजी ने उन पैसों से अस्पताल का बैंक का लोन अदा कर दिया। उनका अस्पताल कुर्क होने वाला था। 
बैंक के रिकार्ड में निलंबित डीजी का नाम ट्रस्ट के मेन ड्राईविंग फोर्स एव ट्रस्ट संचालन के मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में उल्लेखित है। इस वजह से प्रधान ट्रस्टी व डायरेक्टर के साथ उन्हें भी आरोपी बनाया गया। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) ने मानिक मेहता की शिकायत पर अनुदान के गाेलमाल की जांच शुरू की थी। जांच में पता चला कि 2002 में मिकी मेमोरियल ट्रस्ट का पंजीयन कराया गया। करीब दो साल बाद 2004 में ट्रस्ट के माध्यम से एमजीएम आई इंस्टीट्यूट का संचालन शुरू कर दिया गया। उसके बाद उसी वर्ष एमजीएम अस्पताल को एसबीआई बैंक बैरन बाजार में बंधक रखकर 3 करोड़ का टर्म लोन और 10 लाख कैश क्रेडिट लोन लिया गया। सितंबर 2004 में लोन लेने के बाद अप्रैल 2005 में ही लोन अकाउंट गड़बड़ा गया और ट्रस्ट ने किस्त देना बंद कर दिया। बैंक की ओर से कुर्की का नोटिस भेजा गया। उस समय प्रभावशाली पद पर पदस्थ रहते हुए निलंबित डीजी अपने पद का उपयोग किया और बैंक अफसरों को आश्वस्त करते रहे कि लोन की किस्तें अदा कर दी जाएंगी। इसी बीच 2006-07 में अस्पताल को सरकार से 3 करोड़ का अनुदान दिया गया। ये पैसे गरीबों के मोतियाबिंद के फ्री इलाज के लिए दिए गए थे। इसके अलावा इन पैसों से आमलोगों और शासकीय कर्मियों की रियायती दरों पर सर्जरी करना था। अनुदान के इन पैसों से सरकारी मेडिकल स्टाफ को विशिष्ट चिकित्सा की ट्रेनिंग भी देना था। ये पैसे दो किस्तों में दिए गए। आरोप है कि एमजीएम के प्रधान ट्रस्टी, डायरेक्टर और निलंबित डीजी ने सरकारी योजना से मिले पैसों से बैंक का लोन चुकाया और अस्पताल को कुर्की से बचाया। एक ओर निलंबित डीजी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अनुदान के पैसों से बैंक का लोन अदा किया, वहीं दूसरी ओर अपने प्रभाव से ही अस्पताल की कुर्की रुकवाई।

जांच रिपोर्ट में ये भी

  • डा. मिकी मेहता की 2001 में संदिग्ध परिस्थितयों में मौत हुई।
  • उसके बाद ही डा. मिकी के नाम पर चेरीटेबल ट्रस्ट बनाया गया।
  • अस्पताल ट्रस्ट का प्रधान ट्रस्टी गुप्ता ने अपने पिता को बनवाया।
  • ट्रस्ट में ऐसी शर्तें रखीं कि पिता के बाद गुप्ता ही उसके प्रधान ट्रस्टी बनें।
  • शासन के विश्वास के साथ छल कर ट्रस्ट ने गरीबों का मोतियाबिंद का इलाज नहीं किया।

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