रायपुर. लाॅकडाउन में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के नॉन व पैरा क्लीनिकल के 60 फीसदी डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। नॉन क्लीनिकल होने के कारण इन पर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी नहीं रहती। इसी का फायदा उठाकर डाक्टर ड्यूटी नहीं आ रहे हैं। लंबे समय से शिकायत मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने सख्ती शुरू कर दी है।
अब आते-जाते समय रजिस्टर में हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया है। इस सिस्टम से पता चल जाएगा कि कौन ड्यूटी पर आ रहे हैं और कौन नहीं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से हस्ताक्षर के संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मेडिकल कॉलेज में इस नई व्यवस्था का विरोध शुरू हो गया है। इनमें कई ऐसे डॉक्टर हैं, जिनकी ड्यूटी माना स्थित नए कोविड अस्पताल लगायी गई है। वे वहां भी नहीं जा रहे हैं। अंबेडकर अस्पताल में क्लीनिकल डॉक्टरों को सही समय पर आने की जिम्मेदारी की मानीटरिंग करने का जिम्मा अधीक्षक को दिया गया है। देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन है। उसी समय से मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस की क्लास लगना बंद है। उस समय नॉन व पैरा क्लीनिकल के आठ विभागों के ज्यादातर डॉक्टर ड्यूटी नहीं आ रहे थे।
नियमित ड्यूटी आने वाले डॉक्टरों ने इसकी शिकायत कॉलेज प्रबंधन की। डाक्टरों का कहना था कि जोखिम सबके लिए बराबर है। वे जब इस संकट के समय में ड्यूटी पर आ रहे हैं तो बाकी क्यों नहीं? उसके बाद ही कॉलेज प्रबंधन ने मेनगेट पर एक रजिस्टर के अलावा दीवार घड़ी व सेनेटाइजर रखवा दिया गया है। अब डॉक्टरों को आते व जाते समय हस्ताक्षर करना होगा। आने और जाने का टाइम भी लिखने को कहा गया है। डॉक्टरों के लिए आने का समय साढ़े 10 व जाने का समय शाम साढ़े 5 बजे रखा गया है। दूसरा विकल्प सुबह 9 से शाम 4 बजे तक का है।
इस निर्देश का कई डाॅक्टर दोपहर 2 बजे के बाद घर जाने लगे हैं। उनका तर्क है कि हमारा काम 2 बजे के बाद नहीं रहता ऐसे में कॉलेज में क्यों रूके? कॉलेज से गायब रहने वाले डॉक्टरों में रोजाना अप-डाउन करने के अलावा स्थानीय डॉक्टर शामिल हैं। वे हफ्ते में एक बार आकर हस्ताक्षर करते रहे हैं। इसकी शिकायत डीन कार्यालय तक पहुंची है। इसके बाद डीन ने एचओडी की राय लेने के बाद नई व्यवस्था लागू की है।
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