Sunday, 8th June 2025

संक्रमण की बड़ी वजह / कोरोना रिपोर्ट आने में लग रहे हैं 7-10 दिन, इससे इंफेक्शन फैलने का खतरा

Mon, May 4, 2020 6:16 PM

 

  • कोरोना जांच रिपोर्ट आने से पहले किसी भी संदिग्ध को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता
  • लैब में कोरोना सैंपल की मात्रा अधिक होने से लग रहा है ज्यादा वक्त 
  • 8 सरकारी और 11 प्राइवेट लैब में होता है कोरोना टेस्ट
 

नई दिल्ली . (तरुण सिसोदिया) तेजी से फैल रहे कोरोना इंफेक्शन की एक वजह जांच रिपोर्ट आने में देर होना भी बताई जा रही है। कई जगह की जांच रिपोर्ट आने में 7-10 दिन तक का वक्त लग रहा है। जिसके कारण संदिग्ध और कोरोना पॉजिटिव के कॉन्टेक्ट में आया व्यक्ति बेफिक्र रहता है। उसकी यह बेफिक्री कोरोना के मरीजों की तादाद बढ़ाने में मददगार साबित होती है। इसके अलावा संदिग्ध को इलाज भी नहीं मिल पाता। अब तो रिपोर्ट न आने के कारण लोगों को डेड बॉडी तक न मिलने की बात भी सामने आ रही है। रिपोर्ट में 13 दिन की देरी कापासहेड़ा के मामले में सामने आई जबकि आजादपुर मंडी से ली गई 116 सैंपल की रिपोर्ट भी करीब 10 दिन से नहीं आई है।

कोरोना रिपोर्ट देर से आने की वजह से कइयों में फैले इंफेक्शन का ताजा उदाहरण दिल्ली सरकार का अांबेडकर अस्पताल है। यहां अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना रिपोर्ट आने में 7 दिन का वक्त लग गया, जिसके कारण यहां कोरोना पॉजिटिव की तादाद बढ़ती चली गई। इस वक्त यहां कोरोना पॉजिटिव स्वास्थ्यकर्मियों की तादाद 55 है। यहां 18 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद 19 अप्रैल को मरीज के संपर्क में आए कर्मचारियों की जांच कराई गई। साथ ही उन्हें होम क्वारेंटाइन भी किया गया। इन कर्मचारियों की जांच रिपोर्ट 26 अप्रैल को आई जिसमें 25 कोरोना पॉजिटिव थे। इन 25 के संपर्क में आए स्वास्थ्यकर्मियों की जांच कराई गई तो यह आंकड़ा बढ़ता चला गया और 55 पर पहुंच गया। 

19 लैब में हो रहे हैं कोरोना टेस्ट 
दिल्ली में कोरोना टेस्ट कुल 19 लैब में हो रहे हैं। इसमें आठ लैब सरकारी हैं, जबकि 11 प्राइवेट। इस वक्त सभी जगह टेस्ट सैंपल ज्यादा है, जिसके कारण रिपोर्ट आने में देर हो रही है।  
आसपास के लोगों में फैलता है संक्रमण

फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के महासचिव डॉ. सुनील अरोड़ा का कहना है कि किसी भी व्यक्ति के कोराना का संदिग्ध होने से ही वह मानसिक ट्रामा में रहता है। टेस्ट के लिए सैंपल देने से लेकर रिपोर्ट आने तक वह चिंतित और परेशान रहता है। सैंपल देने के बाद से संदिग्ध को होम क्वारेंटाइन में रहना चाहिए। ऐसे लोग जिन्हें कोरोना के लक्षण होते हैं, वह तो सावधानी बरतते हैं लेकिन जिन्हें लक्षण नहीं होते, वह सैंपल देने के बाद भी बेफिक्र रहते हैं, उन्हें लगता है कि वह ठीक हैं। मगर अब बड़ी तादाद में बिना लक्षण वाले लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं। रिपोर्ट देर से आने पर कोरोना फैलने का खतरा बना रहता है क्योंकि मरीज सावधान नहीं रहता। संदिग्ध के परिजनों के अलावा इंफेक्शन का खतरा उसके आसपास के लोगों में रहता है। साथ ही उसे इलाज मिलने में भी देर होती है।  

इधर, आंबेडकर अस्पताल की यूनियन ने भी जताया था विरोध
कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों की रिपोर्ट आने में देर होने पर अस्पताल की नर्स यूनियन ने विरोध जताया था। अस्पताल में 18 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत होने पर उसके संपर्क में आए डॉक्टर एवं अन्य कर्मचारियों का 19 अप्रैल को टेस्ट कराकर उन्हें क्वारेंटाइन किया था। 

डेड बॉडी के लिए परिजन पांच दिन से परेशान, जांच रिपोर्ट नहीं आई 
कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट नहीं आने की वजह से एक ऑटो चालक की डेड बॉडी अंतिम संस्कार के इंतजार में है। परिजन डेड बॉडी लेने के लिए रोज अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें डेड बॉडी नहीं मिल पा रही। शक्ति नगर में रहने वाले राजू सोनकर की मौत 27 अप्रैल को मॉडल टाउन के विनायक अस्पताल में हुई थी।

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