रायपुर. लॉकडाउन के कारण राज्य को इन तीन महीनों में सिर्फ जीएसटी में दो हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। इस स्थिति के मद्देनजर अब सरकार खर्चों में कटौती की तैयारी में है। हालांकि मनरेगा, रिलीफ फंड या लोगों को रोजगार देने वाले काम जारी रहेंगे। लोगों के हाथ में पैसे होंगे तो जरूरी सामानों की खरीदी होने पर बाजार में आएंगे। इसका सकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। मनरेगा में ही हर दिन करीब 19 लाख लोग काम कर रहे हैं। एक व्यक्ति को 190 रुपए का भुगतान किया जाता है।
सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में गुरुवार को सीएम हाउस में वित्त विभाग के कामकाज की समीक्षा की गई। इस दौरान सबने राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताई। फरवरी, मार्च और अप्रैल का समय टैक्स कलेक्शन का होता है। इस दौरान ही कोरोना का संक्रमण रोकने लॉकडाउन करना पड़ा। आर्थिक गतिविधियां बंद हैं। टैक्स कलेक्शन भी नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में सरकार आने वाले दिनों में उन खर्चों में कटौती करने की तैयारी में है, जिससे लोगों के जीवनस्तर में कोई नकारात्मक असर न पड़े। बैठक में अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन में कटौती की भी बात आई, लेकिन इसे खारिज कर दिया। स्वयं सीएम बघेल ने ही कटौती के बजाय स्वेच्छा से सहयोग पर जोर दिया। राज्य में एक माह में 175 करोड़ वेतन पर खर्च होते हैं। अधिकारी-कर्मचारियों से स्वेच्छा से एक दिन का वेतन देने कहा गया है, जो करीब 7 करोड़ होता है।
सभी विभाग काम शुरू करने की तैयारी में : पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन, पीएचई व नगरीय प्रशासन आदि विभाग मिलकर करीब दो हजार करोड़ के काम शुरू करने की तैयारी में हैं। सीएम बघेल ने मिट्टी से जुड़े काम को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह जल संसाधन विभाग को सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए नहर, एनीकट, बांध आदि के मेंटेनेंस पर जोर दिया है। निर्माण एजेंसियों को दिक्कत न हो, इसलिए पीडब्ल्यूडी ने छोटे व पेंडिंग पेमेंट जारी करने के लिए कहा है। बारिश से पहले जो काम पूरे करने हैं, उन्हें खासतौर पर प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि जल संसाधन में 1600 करोड़, नगरीय प्रशासन में करीब एक हजार करोड़, पीएचई में 200 करोड़ और पीडब्ल्यूडी में सर्वाधिक आठ हजार करोड़ के काम होने हैं।
नए काम नहीं, डीए भी नहीं मिलेगा
सरकार फिलहाल कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू नहीं करेगा। जो प्रोजेक्ट लॉकडाउन से पहले शुरू हो चुके थे, उन्हीं को जारी रखा जाएगा। हालांकि इनमें लोगों को रोजगार मिले, उन कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसी तरह अधिकारियों-कर्मचारियों के डीए का बकाया भुगतान नहीं किया जाएगा। नया डीए देने का प्रस्ताव भी टाल दिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक इस माह का वेतन मिलने में भी एक-दो दिनों की देर हो सकती है।
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