बलरामपुर. छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में एक आईपीएस को रेस्ट हाउस में रुकवाने पर विवाद हो गया। वहां पहले से रुकीं वाड्रफनगर की एसडीएम ज्योति बबली भड़क उठीं। सूचना मिलने पर एसडीओपी मौके पर पहुंचे तो एसडीएम ने उन्हे गेट आउट कह दिया। बात बिगड़ती देख आईपीएस ने वहां से जाना ही ठीक समझा। एसडीओपी ने ही उन्हें रुकवाया था। घटना के बाद कलेक्टर ने एसडीएम का तबादला कर दिया, लेकिन वह कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
दरअसल, आईपीएस डॉ. लाल उमेद सिंह परिवार समेत ससुर के अंतिम संस्कार में शामिल होने यूपी जा रहे थे। रास्ते में शाम होने पर एसडीओपी दुर्गेश जायसवाल ने उन्हें वाड्रफनगर पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में रुकवा दिया। यहां वाड्रफनगर की एसडीएम ज्योति बबली बैरागी पहले से रुकी थीं। एसडीएम ज्योति बबली शाम करीब 7 बजे रेस्ट हाउस लौटीं। वहां दूसरे रूम में ठहरे आईपीएस डॉ. लाल उमेद सिंह को देखकर भड़क गईं। तब वे उन्हें नहीं पहचान रही थीं।
पीडब्ल्यूडी के स्टाफ से एसडीओपी के आईपीएस परिवार को लाने की बात पता चली। इस पर एसडीएम जोर-जोर से गुस्साने लगीं। लाल उमेद सिंह ने देखा तो एसडीओपी को फोन कर बुलाया। जब वे पहुंचे तो एसडीएम उनके ऊपर भड़क गईं। यह सब देख लाल उमेद सिंह की पत्नी भी रोने लगीं। एसडीएम ज्योति बबली बैरागी ने एसडीओपी को गेट आउट तक कह दिया। इसके बाद आईपीएस भी वहां से फॉरेस्ट रेस्ट हाउस में शिफ्ट हो गए।
एसडीएम बोलीं- आईपीएस को नहीं पहचाना, एसडीओपी का व्यवहार सही नहीं
घटना की जानकारी कलेक्टर संजीव कुमार झा और एसपी टीआर कोसिमा को दी गई। इस पर कलेक्टर ने एसडीएम को पद से हटा दिया। इसके बाद भी उन्होंने प्रभार नहीं छोड़ा है। इससे नए एसडीएम विकास कुमार राणा भी प्रभार नहीं ले सकते हैं। वहीं महिला एसडीएम ने कलेक्टर को आवेदन देकर कहा है कि वे आईपीएस को नहीं पहचान पाई। एसडीपीओ उनके साथ सही व्यवहार नहीं करता है।
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