Tuesday, 3rd June 2025

इस्पात नगरी में संकट / कच्चा माल नहीं, इसलिए मंजूरी के बाद भी 78% उद्योग खुले नहीं, रोज 50 करोड़ का कारोबार प्रभावित

Wed, Apr 29, 2020 6:48 PM

 

  • लॉकडान के बीच नियम-शर्तों के साथ उद्योग शुरू, लेकिन हालात अब भी पहले जैसे नहीं
  • जो खुले वहां लेबर की कमी, छोटे उद्योगों के ऑर्डर कैंसिल, अब वे कर रहे हैं छूट की मांग 
 

दुर्ग. शर्तों के साथ शुरू कराए गए जिले के उद्योगों का अब भी बुरा हाल है। रोजाना करीब 50 करोड़ रुपए के कारोबार प्रभावित हो रहे। कच्चे माल की उपलब्धता, लेबर व अन्य जरूरी आवश्यकताएं पूरी नहीं होने के चलते 78 फीसदी (940) उद्योग शुरू ही नहीं हो पाए हैं। जो 22 प्रतिशत उद्योग शुरू हुए हैं, वहां भी उत्पादन 50 प्रतिशत के करीब ही हो पा रहा है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में यह खुलासा हुआ है।

बड़े उद्योगों के भरोसे रहने वाली फैक्ट्रियों की हालत है खराब 
बीएसपी, राउरकेला, दुर्गापुर, बोकारो और जिंदल जैसे प्लांट के भरोसे जो फैक्ट्रियां चलती हैं, वे सबसे अधिक प्रभावित हैं। उनके लिए रॉ मटेरियल दीगर प्रदेशों से आते हैं, जो बिल्कुल भी नहीं पहुंच पा रहे। माल जो पहले से तैयार है उसका उठाव नहीं हुआ है। इसलिए ये उद्योग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। लॉकडाउन से पहले तक रोजाना का औसत प्रोडक्शन 50 करोड़ रुपए तक का रहा।


संकट में छोटे उद्योग, कर्ज चुकाना हुआ मुश्किल
सिंपलेक्स समूह भिलाई-दुर्ग के 4 यूनिट औद्योगिक क्षेत्र में हैं। इन यूनिटों में मशीन शॉप और फ्रेब्रिकेशन की दो यूनिट ही शुरू हो पाई। उत्पादन आधा हो गया है। भारत फ्रेब्रिकेशन के प्रीतपाल सिंह कहते हैं कि सरकार ने लोन का ब्याज तीन महीने के बाद जमा करने कहा है लेकिन इससे उद्योगों की समस्या कम नहीं होगी। एक साथ ब्याज पर ब्याज और लोन की किश्त देना और मुश्किल होगा। 

1200 उद्योग जिले में संचालित, 360 को अनुमति, खुले 126
इंड्रस्ट्रीयल एरिया भिलाई और दुर्ग में 1200 उद्योग हैं। 21 अप्रैल से उद्योगों को खोलने सरकार ने सशर्त छूट प्रदान की है। 78% उद्योगों पास पुराना स्टॉक तैयार है। 360 सहायक उद्योगों को खोलने की अनुमति जारी की गई है, इसमें 160 खुले हैं। करीब 100 राइस मिल व अन्य फूड प्रोडक्शन मिल, फूड प्रोसेसिंग प्लॉट, साबुन बनाने की फैक्ट्ररी, बेकरी खुले हैं। कई उद्योगों के ऑर्डर कैंसिल कर दिए हैं।


ऑर्डर नहीं होने के कारण बंद की तैयारी भी
यहां के सहायक उद्योग बीएसपी, दुर्गापुर, बोकारो, राउरकेला, जिंदल स्टील प्लांट के भरोसे चलते हैं। इसी तरह बडे उद्योग अर्पणा कार्बन, कोलकेम इंड्रस्ट्रीज एल्युमिनियम के तार बनाकर बालको भेजता है। रोलिंग मिल के सरिया, सीमेंट फैक्ट्री के प्रोडक्शन भी यहां से महाराष्ट्र सहित दूसरे राज्यों को जाते हैं। उद्योग संचालक बतातें हैं कि वहां से आर्डर आना और यहां से माल उठाना बंद है। मार्च और अप्रैल महीने का बिजली, लेबर पेमेंट और बैंक लोन का ब्याज देना ही है और पैसे का टर्न ओवर खत्म हो गया है। यही स्थिति रही तो बंद करने पड़ेंगे।


अनुमति के बाद दुर्ग-भिलाई सहित जिले में 260 उद्योगों ने काम शुरू किया है। ज्यादातर उद्योग दीगर राज्यों में प्रोडक्शन बेचते हैं इसलिए वे अभी अनुमति नहीं ले रहे हैं। रोजाना दो से तीन उद्योग शुरू हो रहे हैं।

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