रायपुर. लॉकडाउन के दौरान भी कई कारोबारियों ने फर्जी कंपनियां बनाकर उसमें 118 करोड़ रुपए से ज्यादा का बोगस बिल जारी कर दिया। विभाग के अफसरों ने घर से काम करने के बावजूद इस चोरी को पकड़ा है। वाणिज्यकर मंत्री टीएस सिंहदेव ने जीएसटी चोरी के इस खुलासे के बाद एक नोट जारी कर कहा कि लाॅकडाउन के दौरान भी विभाग सतर्क था, इसलिए टैक्स चोरी का इतना बड़ा मामला पकड़ा जा सका है। जीएसटी अफसरों ने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान बोगस कंपनियों ने 745.58 करोड़ रुपए की सर्कुलर ट्रेडिंग की, फर्जी बिक्री दिखाई और इसके जरिए 118.47 करोड़ रुपए का जीएसटी बचा लिया। विभाग के संयुक्त आयुक्त गोपाल वर्मा के नेतृत्व में प्रवर्तन शाखा ने यह कर चोरी पकड़ी है।
उन्होंने बताया कि राज्य में आयरन एंड स्टील एवं प्लाईवुड के कारोबार से जुड़ी 58 फर्जी कंपनियों के जरिए यह टैक्स चोरी की गई। इन फर्जी कंपनियों के जरिए कारोबारियों ने बोगस बिल से छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और ओडिशा समेत 14 राज्यों के कारोबारियों के साथ मिलकर 118.47 करोड़ रुपए का स्टाॅक फर्जी तरीके से इधर से उधर कर दिया। यानी किसी कारोबारी के पास कोई स्टॉक न तो गया और न ही आया, लेकिन करोड़ों के बिल जनरेट हो गए।
ऑनलाइन जांच से खुलासा
जीएसटी के ज्यादातर अफसर अभी वर्क फ्रॉम होम हैं। इन अफसरों ने फर्जी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के दौरान जमा किए गए मोबाइल और पैन नंबर, ई-मेल आईडी और ई-वे बिल की बारीकी से जांच की। इसमें पता चला कि 14 राज्यों में 19 पैन नंबर का उपयोग अलग-अलग राज्यों में 58 रजिस्ट्रेशन के दौरान किया गया। इसमें 21 मोबाइल नंबरों का भी उपयोग हुआ, जो फर्जी निकले यानी किसी कारोबारी या कारोबार से अटैच नहीं थे। इसके बाद ही फर्जी बिलिंग का मामला खुला। अफसरों का कहना है कि अभी जांच चल रही है, फर्जी बिलों की रकम और बढ़ सकती है। इससे जीएसटी चोरी का आंकड़ा भी बढ़ेगा।
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