कोरबा. लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर पिछले लंबे समय से अपने घर के लिए पैदल-साइकिल से ही सैकड़ों मील की दूरी तय कर रहे हैं। अब छत्तीसगढ़ से जा रहे इन मजदूरों के लिए पुलिस का लॉक भी डाउन हो रहा है। ऐसा ही मजदूरों का एक जत्था शनिवार रात कटघोरा से गुजरा। ये मजदूर भिलाई से झारखंड के गढ़वा व यूपी के बनारस के पास स्थित अपने गांव लौट रहे थे। पुलिस ने इन्हें रोक कर सैनिटाइजर से छिड़काव कराया और फिर चिवड़ा-गुड़ और बिस्किट का पैकेट देकर रवाना किया।
भिलाई से झारखंड के गढ़वा व यूपी के बनारस के पास स्थित अपने गांव लौट रहे मजदूरों को रोक कर सैनिटाइजर से छिड़काव कराया गया।
यही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों से भी है। मजदूरों को अनुमति दिए जाने के सवाल पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी चुप हैं। संभावना है कि ऐसे मजदूरों की जिम्मेदारी उठाने से प्रशासन अब बच रहा है। हालांकि कोरबा से निकले मजदूरों को एक पुलिस अधिकारी की ओर से ही ही खाने के यह पैकेट उपलब्ध कराए गए हैं। ऐेसे में यह पुलिस का मानवीय चेहरा है भी दिखा रहा है।
दो अलग-अलग समूह में रायपुर से रवाना हुए मुरारी यादव, रामानंद, शिवकुमार यादव, रामाशीष यादव, दिनेश मांझी, दीनदयाल व भिलाई से निकले सुरेश चौधरी, दिनेश चौधरी, सूरजमल चौधरी, अयोध्या चौधरी, लाल मोहन चौधरी ने बताया कि वे सुबह 5 बजे भिलाई व रायपुर से चले थे। उन्हें पुलिस ने आगे जाने दिया है। रास्ते में कहीं पर लोगों ने भी उन्हें खाना खिलाया है। ठेका कंपनी ने पैसा देना बंद कर दिया है। न ही खाने का सामान दे रहे हैं।
जिले में 10 राहत शिविर में अभी रह रहे 141 प्रवासी मजदूर
लॉकडाउन के बाद जिले में बनाए गए 10 राहत शिविरों में अन्य राज्यों से आए 141 मजदूरों को रखा गया है। इनमें से एतमानगर में 15, जूनियर क्लब एचटीपीपी में 51, प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में 11, बालक छात्रावास मोरगा में 15, नागिरन झोरकी दीपका में 5, कटघोरा में 11, जर्वे में 11, लबेद में 14, सिल्ली में 2 श्रमिक हैं। इन शिविरों में भोजन, मेडिकल चेकअप व मूलभूत जरूरत के इंतजाम किए गए हैं।
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