रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी में रमजान का चांद दिखने के साथ ही शनिवार को पहला रोजा रखा जाएगा। कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से इस बार रमजान में मोहल्लों और मस्जिदों में भीड़ प्रतिबंध होगा। लॉकडाउन की वजह से आम लोगों के लिए मस्जिदों के ताले नहीं खुलेंगे। हालांकि लोगों की सहूलियत के लिए अजान पुकारी जाएगी, लेकिन लाउड स्पीकर के साउंड का लेवल लो रखा जाएगा। रोजा रखने के लिए सहरी और शाम को इफ्तार के वक्त केवल 5-5 सेकेंड के लिए सायरन बजाया जाएगा। कुरआन सुनाने और तरावीह की विशेष नमाज पढ़ाने के लिए दूसरे राज्यों से मौलाना बुलाए जाते थे, लेकिन इस साल किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है। लोगों को पांच वक्त की नमाज भी घरों में पढ़नी होगी।
रमजान के दौरान मस्जिदों में व्यवस्था बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वक्फ बोर्ड ने प्रशासन, पुलिस और निगम अफसरों के साथ ही सभी मस्जिदों के मुतवल्लियों के साथ बैठक कर नई एडवाइजरी और गाइडलाइन भी जारी कर दी है। इस गाइडलाइन के अनुसार जब तक धारा 144 लागू है मस्जिदों में जमात के साथ नमाज नहीं हो सकती है। इस वजह से इस पर फैसला 3 मई के बाद ही होगा। शहर के कई मुस्लिम संगठनों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कहा है कि इफ्तारी यानी रोजा खोलने के लिए कई तरह के व्यंजनों की बिक्री के लिए शाम के वक्त कुछ घंटों के लिए ऐसे कारोबारियों को छूट दी जाए। लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस मांग पर किसी भी तरह का कोई फैसला नहीं लिया है।
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