Sunday, 8th June 2025

कपाट खुलने पर विवाद / फिर बदली तारीख: अब केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल और बद्रीनाथ के 15 मई को खुलेंगे, मंत्री सतपाल ने बयान बदला, बोले- मंदिर समिति तय करेगी

Wed, Apr 22, 2020 12:31 AM

 

  • केदारनाथ के रावल क्वारैंटाइन में, उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट तीन दिन में आएगी, उनका 14 दिन का क्वारैंटाइन 3 मई को खत्म होगा
  • बद्रीनाथ के कपाट बदली हुई तारीख पर ही खुलेंगे, लॉकडाउन का पालन किया जाएगा
 

 देहरादून. केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। यह पहला मौका है, जब इन मंदिरों के कपाट खुलने की तारीख तीसरी बार बदली गई है। अब केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल को खुलेंगे। जबकि बद्रीनाथ के 15 मई को।


शिवरात्री पर पारंपरिक तरीके से 29 अप्रैल की तारीख ही केदारनाथ के कपाट खुलने के लिए तय की गई थी। लेकिन यहां के रावल महाराष्ट्र में फंसे थे और लॉकडाउन के चलते उनका उत्तराखंड पहुंचना तय नहीं था। केदारनाथ का मुकुट उन्हीं रावल के पास था, इसके बिना पूजा संभव नहीं थी।

3 मई को खत्म होगा क्वारैंटाइन
मंगलवार को ऊखीमठ में केदारनाथ के मंदिर समिति के अधिकारी, वेदपाठी, पंचगांव के लोगों की बैठक में तारीख 29 अप्रैल ही रखने का फैसला किया गया। इस बैठक में ऊखीमठ में मौजूद रावल नहीं आए। वह क्वारैंटाइन में हैं। हालांकि बाद में उनसे लिखित में संदेश भेजकर सहमति मांगी गई थी। प्रशासन ने रावल को क्वारैंटाइन में रहने को कहा था। वह किस तरह कपाट खुलने की पूजा में शामिल होंगे, इसका फैसला प्रशासन को करना है। रावल 19 मई को ऊखीमठ पहुंचे हैं। उनका 14 दिन का क्वारैंटाइन 3 मई को खत्म हो रहा है।

बदली गई तारीख

फिलहाल, रावल का कोविड टेस्ट किया जा चुका है। रिपोर्ट 3 दिन में आएगी। वह महाराष्ट्र के नांदेड़ से आए हैं जो कि कोरोना का ग्रीन जोन है। बद्रीनाथ के रावल जो 20 मई को उत्तराखंड पहुंचे हैं वो भी कोरोना के ग्रीन जोन घोषित केरल के कन्नूर से आए हैं। बद्रीनाथ के कपाट खुलने को लेकर टिहरी महाराज ने सोमवार को तारीख बदलने का फैसला लिया था। पहले 30 अप्रैल को कपाट खुलने थे, सोमवार को तारीख बदलकर 15 मई कर दी गई थी। सोमवार को सतपाल महाराज ने तारीख बदलने का जो बयान दिया था वह देर शाम बदल दिया और कहा था कि तारीख मंदिर समिति और रावल जी तय करेंगे।


बद्रीनाथ की तारीख इसलिए भी जल्दी नहीं रखी जा सकती क्योंकि, वहां गाडू घड़ा की जो रस्म निभाई जानी है वह 30- 40 महिलाएं मिलकर करती हैं और अलग-अलग सोशल डिस्टेंसिंग में यह संभव नहीं। 

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