काेराेना संक्रमण की स्थिति गंभीर हाेने पर कलेक्टर श्रीकांत बनाेठ ने शहर में कर्फ्यू लगाया
धार. जिले में देर रात 14 मरीजों की रिपोर्ट पाॅजिटिव आने के कुछ ही घंटे बाद सोमवार सुबह 2 और लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। संक्रमितों में 8 सफाईकर्मी और 4 नर्स भी शामिल हैं। कोरोना का कहर अब गांवों तक भी पहुंच गया है। रिपोर्ट में तिरला के दो ग्रामीण भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इस तरह अब जिले में काेरोना संक्रमितों की संख्या 36 हो गई है। इनमें से अधिकतर जो कोरोना पॉजिटिव हैं, वह गांधीनगर निवासी सफाईकर्मी के कांटेक्ट हिस्ट्री के बताए जा रहे हैं, जो पहले से ही आइसोलेशन वार्ड में भर्ती हैं। इसके पहले शनिवार को भी 10 में कोरोना संक्रमण पाया गया था।
संदिग्धों के सैंपल लिए लेकिन क्वारैंटाइन नहीं किया, इसलिए बढ़े मरीज
स्वास्थ्य विभाग ने जिन संदिग्धाें के सैंपल लिए, उन्हें उसी समय क्वारैंटाइन नहीं किया, इसलिए वे खुला घूमते रहे। जिला अस्पताल में लाेगाें से मिलते-जुलते रहे। जब पाॅजिटिव रिपाेर्ट आई तब तक वे कई लाेगाें काे संक्रमण दे चुके थे। इस पर भी जिम्मेदार यह कहकर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं कि उनमें बीमारी के काेई लक्षण नहीं दिख रहे थे। निजी अस्पताल की स्टाफ नर्स सहित अन्य कई कर्मचारियाें के सैंपल लिए गए थे, लेकिन उन्हें भी क्वारैंटाइन नहीं किया गया न ही पुलिस जवान, नर्साें और सफाईकर्मियाें काे। नतीजा इनसे कई लाेगाें काे संक्रमण फैला, जाे अब एक-एक कर सामने आते जा रहे हैं।
पुणे से कुक्षी आया था बेटा, अलग-अलग डाॅक्टराें से कराया इलाज, अब पाॅजिटिव
इसमें दो केस कुक्षी के भी पॉजिटिव आए हैं। दोनों पिता-पुत्र हैं। ट्रेवल हिस्ट्री में सामने आया है कि पुत्र महाराष्ट्र के पुणे से आया था। उसकी मां भी कुक्षी के शासकीय अस्पताल में नर्स है। बुखार आने पर अलग-अलग डॉक्टरों से अपना इलाज करवाया था। बताया जाता है कि वह कई लाेगाें से मिला भी था। परिवार के साथ ही उसके संपर्क में आए सभी लाेगाें की स्क्रीनिंग करना जरूरी है।
ऐसे समझें, पहले मरीज से कैसे चली चेन
8 अप्रैल काे उटावद दरवाजा बख्तावर मार्ग निवासी काे पाॅजिटिव पाया गया था। उसकी कांटेक्ट हिस्ट्री में आया था कि उसने माेहन टाॅकीज स्थित निजी डाॅक्टर, नर्सिंग चाैपाटी स्थित निजी अस्पताल, नालछा दरवाजा पाै चाैपाटी के निजी डाॅक्टर और जिला अस्पताल मार्ग पर स्थित निजी अस्पताल में इलाज कराया था। इसी अस्पताल में एक नर्स ने बिना ग्लब्ज पहने ही उसे आईवी लगाई थी। साथ ही अस्पताल में काम भी करती रही। यहां करीब 35 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे। नर्स से कई लाेग संपर्क में आए। उसका भाई भी पाॅजिटिव हुआ। जब यह मरीज जिला अस्पताल के क्वारैंटाइन सेंटर में था तब सफाई दराेगा भी उसके संपर्क में अाया। मरीज की पत्नी भी बाद में पाॅजिटिव पाई गई। दराेगा से गांधी काॅलाेनी व जिला अस्पताल के कई लाेग संपर्क में आए। नर्साें से शिशु व अन्य वार्ड भी संपर्क में आए। इस तरह से यह चेन बढ़ती गई।
लापरवाही के ये हैं उदाहरण, जिससे फैला संक्रमण
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