Sunday, 8th June 2025

लॉकडाउन में फंस गया था बेटा, 1400 KM स्कूटी चलाकर अपने कलेजे के टुकड़े को ले आई 50 वर्षीय मां

Fri, Apr 10, 2020 6:16 PM

कोरोना लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग फंसे हुए हैं और वह अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए ही मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है। मगर इस बीच एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे पढ़कर आपको फिर से यकीन हो जाएगा कि एक मां अगर चाहे तो अपने बच्चों के लिए क्या नहीं कर सकती है। दरअसल, एक महिला का बेटा घर से करीब 700 किलोमीटर दूर लॉकडाउन की वजह से फंस गया था, जिसके बाद मां स्कूटी से 1400 किलोमीटर की यात्रा कर अपने बेटे को वापस ले आई। 

स्कूटी से तय की 1400 किमी सफर
तेलंगाना के निजामाबाद जिले की रहने वालीं 50 वर्षीय रजिया बेगम अपने स्कूटी से 700 किलोमीटर दूर नेल्लोर चली गईं, जहां उनका बेटा लॉकडाउन में फंसा था और फिर अपने बेटे को स्कूटी पर बैठाकर घर वापस ले आईं। रजिया बेगम निजामाबाद के बोधन शहर में एक सरकारी शिक्षिका हैं। रजिया अपने बेटे को लाने के लिए सोमवार की सुबह स्कूटी से निकलती हैं और मंगलवार को दोपहर में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर पहुंचती हैं। वहां से वह अपने 17 साल के बेटे मोहम्मद निजामुद्दीन को स्कूटी पर बैठाकर वापस घर चली आती हैं और वह बुधवार को शाम में अपने घर पहुंचती हैं। इस दौरान रजिया तीन दिनों में कुल 1400 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। उनका बेटा नेल्लोर में अपने दोस्त के घर पर फंस गया था। 

एसीपी ने दी थी विशेष परमिशन 
हालांकि, लॉकडाउन होने की वजह से इस असंभव काम में उनकी मदद बोधन जिले के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर वी जयपाल रेड्डी करते हैं। रजिया अपने बेटे को वापस लाने का वाजिब कारण बताती हैं और उनसे जाने की मंजूरी मांगती हैं। रजिया की गुहार सुनकर जयपाल रेड्डी उन्हें एक विशेष लेटर जारी करते हैं, ताकि प्रशासन कहीं भी रोके-टोके नहीं। हालांकि, इस दौरान रजिया को कई जगहों पर पुलिसवाले रोकते भी हैं, मगर एसीपी द्वारा दी गई विशेष पास की बदौलत उन्हें कहीं ज्यादा दिक्कत नहीं आती है और वह अपने बेटे को सुरक्षित घर लाने में कामयाब रहती हैं। 

रजिया को एक बेटा और एक बेटी
रजिया के पति 12 साल पहले एक बीमारी की वजह से गुजर चुके हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। बेटा निजामुद्दीन 2019 में 12वीं पास कर गया है और अब वह हैदराबाद में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। बीते दिनों निजामुद्दीन अपने दोस्त के साथ नेल्लोर गया था, जहां उसके दोस्त के पापा अस्पताल में भर्ती थे। तभी अचानक 23 तारीख को लॉकडाउन का ऐलान हो जाता है और वह अपने दोस्त के घर पर फंस जाता है।

बेटे के लिए हरसंभव कोशिश
रजिया को जैसे ही पता चलता है कि उनका बेटा नेल्लोर में दोस्त के घर पर फंस गया है, वह तुरंत असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर से संपर्क करती हैं और अपने बेटे को वापस बुलाने के लिए मदद की गुहार लगाती हैं। वह कहती हैं कि एसीपी साहब ने मुझे एक परमिशन लेटर दिया, ताकि मैं लॉकडाउन में अपने बेटे को लाने जा सकूं। उन्होंने आंध्र प्रदेश पुलिस से भी अपील की कि मुझे लॉकडाउन में अपने राज्य में जाने दिया जाए। 

मुझे कहीं डर नहीं लगा
रजिया आगे कहती हैं कि मैं लगातार चलती गई। मुझे अपने बेटे को वापस लाना था, इसलिए कहीं भी डर नहीं लगा। कई जगह  पुलिसवालों ने रोका, मगर मैं एसीपी साहब का दिया हुआ परमिशन लेटर दिखा देती थी और वे मुझे जाने देते थे। मैं नेल्लोर में एक दिन भी नहीं रुकी और वापसी के लिए मैं निकल गई। 

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery