दंतेवाड़ा. नक्सलियों के कब्जे वाले इलाके में बन रही सड़कों के काम को तमाम कोशिशों के बाद भी नक्सली नहीं रोक पाए। हर घटनाओं के बाद नक्सलियों को जवाब देने हमारे जवान पूरी मजबूती के साथ फिर से मैदान में उतरे और काम शुरू करवाया। लेकिन कोरोना के कारण सड़क निर्माण का काम रोकना पड़ गया। जिले की 3 सड़कें ऐसी हैं जहां सीआरपीएफ, डीआरजी, सीएएफ, एसटीएफ जवानों की बड़ी संख्या में मौजूदगी के बीच सड़क निर्माण का काम हो पाता है।
पीडब्ल्यूडी के एसडीओ एमके भौर्य ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सभी काम बंद हैं। नक्सल घटना के तुरंत बाद सुरक्षा बलों के सहयोग से काम शुरू किया गया था। जैसे ही कोरोना लॉकडाउन खत्म होकर स्थिति सामान्य होती है उच्चाधिकारियों के दिशा-निर्देश के अनुरूप फिर से काम शुरू किया जाएगा।
20 साल से बंद रास्ते को खोलना सबसे बड़ी चुनौती
20 सालों से बंद रास्ते को खोलने वाली ये सबसे चुनौती वाली सड़क है। यह 5 जिलों की सीमाओं और इनके कई गांवों को जोड़ेगी। पुसपाल से बोदली के बीच सड़क निर्माण काम चल रहा था। इस निर्माण में सुरक्षा देने पुसपाल से सीआरपीएफ, बोदली से डीआरजी, एसटीएफ व सीएएफ के 150 से ज्यादा जवान हर दिन निकलते हैं। सड़क निर्माण काम में लगे 9 वाहनों में आगजनी, ब्लास्ट में 3 जवानों की शहादत, एक जवान व 2 मजदूर घायल, 20 से ज़्यादा आईईडी बरामद हुई। यहां के कैंपों में नक्सलियों ने हमला भी किया। लेकिन जवानों का मनोबल कम नहीं हुआ व नक्सलियों से मिल रही चुनौती के बीच भी काम चलता रहा। नक्सल घटना के बाद जिस रफ्तार से अब काम की दोबारा शुरुआत हुई थी, दावा था कि 31 मई तक काम पूरा हो जाएगा।
13 किमी सड़क के नीचे दबे हैं 12 से ज्यादा आईईडी
नक्सलगढ़ में बन रही करीब 13 किमी की इस सड़क के नीचे दबे 12 से ज्यादा आईईडी बम बरामद किए जा चुके हैं। एक जवान घायल भी हुआ है। इसके बाद भी सड़क बनाने जवान डटे रहे। इनकी मौजूदगी में इतनी तेजी से काम हुआ कि ढाई महीने के अंदर 6 किमी सड़क भी बन गई। अभी काम रुका है, लेकिन इसका कारण नक्सल भय नहीं बल्कि कोरोनाबंदी है। सड़क निर्माण से बौखलाए नक्सली कई जगहों से इसे काट दिया है
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