जयपुर (दीपक आनंद). कोरोना के कहर के बीच हजारों लाेग अपने गांव-ढाणी जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। मजबूरी में लॉकडाउन तोड़ने वाले ये लोग देश को खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे में देश की कोचिंग कैपिटल और राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स ने बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। कोटा में अभी एक भी कोरोना पाॅजिटिव नहीं मिला है।
इसमें सबसे अहम भूमिका इन छात्रों की है, जो अनुशासन के साथ अपने हॉस्टल-पीजी के कमरों में ही रह रहे हैं। वहीं, छात्राएं भी अपने घर जाने की जिद न करके यहां अनुशासन के साथ रह रही हैं। कोरोना का एपिसेंटर बन चुके भीलवाड़ा से कोटा शहर की दूरी 160 किमी से भी कम है। इसके बावजूद अब भी 35 से 40 हजार छात्रों ने कोराेना को हराने के लिए अपनी जिंदगी को हॉस्टल के रूम से लेकर मैस तक सीमित करके रख दिया है।
चुनौतियां कम नहीं-
खतरा इसलिए ज्यादा
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की 2017 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार कोटा विश्व के सात सबसे अधिक घनत्व वाले शहरों में है। मुंबई सूची में दूसरे स्थान पर था। कोटा में प्रति वर्ग मीटर 12 हजार 100 लोग रहते थे। मुंबई में 31 हजार 700 लोग थे। इसे देखते हुए कोटा बेहद संवेदनशील शहर है। यहां कम्युनिटी संक्रमण सबसे घातक हो सकता है।
यूं गुजार रहे वक्त
सकारात्मक नजरिया- छात्र इस समय को भी पॉजिटिव रूप में ले रहे हैं। वे मानते हैं कि जेईई मेन और नीट की तारीख आगे बढ़ने के कारण अब इन्हें पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलेगा।
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