Saturday, 24th May 2025

अमेरिका / महिला धावक ने कोरोना से डरे बुजुर्ग दंपति की मदद की, 45 मिनट से कार में बैठा था

Thu, Mar 19, 2020 6:56 PM

 

  • बुजुर्ग दंपति की उम्र 80 साल के ऊपर थी, डर की वजह से ग्रॉसरी स्टोर में नहीं जा रहा था 
  • उन्होंने बताया- जब से पता चला है कि कोरोनावायरस का असर बुजुर्गों पर काफी ज्यादा होता है, तब से वे डरे हुए हैं

 

ओरेगन(अमेरिका).  जहां एक ओर कोरोनावायरस संक्रमण के डर से लोग सहमे हुए हैं, और कई जगह संक्रमित लोगों को ताने तक सुनने पड़ रहे हैं। ऐसे में ओरेगन प्रांत की रिबेको मेहरा की ग्रॉसरी खरीदने में एक बुजुर्ग दंपति की मदद करने की तारीफ हो रही है। 

25 साल की रिबेका प्रोफेशनल रनर हैं और पिछले दिनों उन्होंने दंपती की मदद करने के बाद जब इसे ट्वीट किया तो थोड़े ही वक्त में वह वायरल हो गया। रिबेका ने जैसे ही ट्वीट किया, कुछ वक्त बाद उसे 50 हजार लोगों ने लाइक किया और 10 हजार लोगों ने रि-ट्वीट किया। अगले दिन 31 हजार लोगों ने रिट्वीट किया और एक लाख से ज्यादा लोगों ने लाइक किया। रिबेका ने ट्वीट में अपील की कि इस महामारी के समय में जितना भी हो सके, लोगों की मदद करने से पीछे न हटें। पिछले दिनों रिबेका एक ग्रॉसरी स्टोर गई थीं जहां पहुंचने पर उन्हें एक महिला की आवाज सुनाई दी जो मदद के लिए पुकार रही थी।

45 मिनट से मदद के इंतजार में कार में बैठा था दंपति
रिबेका ने ट्वीट किया, आवाज सुनते ही मैं उस महिला और उसके पति के पास गई। मेरे वहां जाते ही उन्होंने कार का शीशा नीचे किया और कहा कि वे स्टोर जाने से डर रहे हैं और चाहते हैं कि कोई उनका सामान लाने में उनकी मदद करे। दरअसल दोनों की उम्र 80 साल से ज्यादा थी। उन्होंने मुझे बताया कि जब से सुना है कि कोरोनावायरस का असर बुजुर्गों पर काफी ज्यादा होता है, तब से वे डरे हुए हैं। उनकी कोई औलाद भी नहीं है जो ऐसे वक्त में उनकी मदद करे, इसलिए वे पिछले 45 मिनट से स्टोर के बाहर मदद के इंतजार में हैं।

उन्होंने मुझसे मदद करने के लिए कहा 
उन्होंने मुझे 100 डॉलर और एक शॉपिंग लिस्ट दे दी। मुझे स्टोर में जो भी सामान मिला, मैंने ले लिया। वहां सब लोग टॉयलेट पेपर तक के लिए पागल हुए पड़े थे। क्लीनिंग सेक्शन में कुछ भी नहीं बचा था और सिर्फ दो साबुन ही बचे थे जो एक महिला ने ले लिए थे। हालांकि वह मददगार थीं और उन्होंने एक साबुन मुझे दे दिया। स्टोर का माहौल काफी परेशानी भरा था, लोग डरे और सहमे थे लेकिन इन सबके बीच कई एेसे भी थे जो मदद कर रहे थे। मैंने उस दंपति का सामान खरीदा और गाड़ी में रखकर बैलेंस लौटाकर वापस आ गई। हालांकि जल्दबाजी में मैं उनसे उनका नंबर लेना भूल गई। मैं जानती हूं कि डर के ऐसे माहौल में हम सभी पहले अपने बारे में ही सोचते हैं लेकिन हमारे आस-पास के कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें मदद की काफी जरूरत है। हमें उनके बारे में भी सोचना चाहिए।

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