Sunday, 8th June 2025

नौसेना / महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

Tue, Mar 17, 2020 4:55 PM

 

  • 2007 एसएससी जेएजी बैच की इकलौती महिला अफसर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
  • इससे पहले शीर्ष अदालत ने सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का आदेश दिया था

 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को नौसेना में महिलाओं अफसरों को परमानेंट कमीशन दिए जाने पर फैसला सुनाएगा। 2007 के एसएससी जेएजी बैच की इकलौती महिला अफसर ने परमानेंट कमीशन को लेकर याचिका दायर की थी। इसमें महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर भेदभाव का दावा किया है। इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की। 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का आदेश दिया था।

वकील ऐश्वर्या भारती ने बताया कि महिला अफसर 6 अगस्त 2007 को नौसेना में भर्ती हुईं। वे एसएससी जेएजी बैच की इकलौती महिला अफसर हैं। हमारा केस भी बबीता पूनिया की तरह ही है, जिस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को सेना में सभी महिला अफसरों को 3 महीने में परमानेंट कमीशन देने की बात कही थी। हम चाहते हैं कि नौसेना में भी महिला अफसरों को समान मौके मिलना चाहिए। लेकिन वरिष्ठता क्रम में आगे रहने के बाद भी पुरुष अधिकारी को तरजीह दी गई।

क्या है परमानेंट कमीशन?
सेना में परमानेंट कमीशन मिलने के बाद कोई अधिकारी रिटायरमेंट तक सेना में काम कर सकता है और उसे पेंशन भी मिलती है। सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन शुरू हुआ था। इसके तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों की भर्ती की जाती है, जिन्हें 14 साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती। परमानेंट कमीशन के लिए नेवी में केवल पुरुष अधिकारी ही आवेदन कर सकते हैं।

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