सीएए विरोधी हिंसा / प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से कहा- ऐसा कोई कानून नहीं, जो कार्रवाई का समर्थन करता हो
Thu, Mar 12, 2020 5:52 PM
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के पोस्टर लगाने को निजता में गैर जरूरी हस्तक्षेप माना था
- योगी सरकार ने पोस्टर हटाने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा फैलाने के आरोपियों के पोस्टर लगाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। योगी सरकार ने स्पेशल लीव पिटीशन दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के पोस्टर हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई को निजता में गैर जरूरी हस्तक्षेप करार दिया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''यह मामला बहुत अहमियत रखता है, क्या यूपी सरकार को ऐसे पोस्टर लगाने का अधिकार है। अब तक ऐसा कोई कानून नहीं है, जो सरकार की इस कार्रवाई का समर्थन करता हो।'' योगी सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि निजता के अधिकार के कई आयाम हैं।
- मेहता ने कहा- पोस्टर हटाने के हाईकोर्ट के फैसले में खामियां हैं। ये लोग प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल थे। सरकार के पास ऐसी कार्रवाई करने की शक्ति है। इस पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने पूछा- वह शक्ति कहां है? मेहता ने कहा- एक आदमी जो प्रदर्शन के दौरान हथियार लेकर पहुंचा हो और हिंसा में शामिल रहा हो। वह निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
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