Monday, 9th June 2025

वक्त है बदलाव का / 24 घंटे में अंचल की राजनीति में बहुत कुछ बदल गया, दो दिन में सिंधिया समर्थकों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी

Thu, Mar 12, 2020 5:34 PM

 

  • सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ग्वालियर चंबल संभाग में बदल गए सियासी समीकरण
  • उपेक्षित पड़े नेताओं में खुशी की लहर, जल्द ही भाजपा में समीकरण बदलने की उम्मीद

 

ग्वालियर। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंगलवार को कांग्रेस छोड़ने से लेकर बुधवार को भाजपा ज्वाइन करने के 24 घंटे के दौरान ग्वालियर शहर सहित पूरे अंचल में राजनीतिक घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल गया। बड़ी संख्या में सिंधिया समर्थकों ने अपने नेता की तर्ज पर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उधर, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने सिंधिया के इस कदम को गलत बताते हुए अपनी निष्ठा पार्टी के साथ बरकरार रखी है। कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिंधिया के पुतले भी जलाए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने से ग्वालियर चंबल संभाग के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव आएगा। जयविलास पैलेस अब पूरी तरह भगवामय हो गया। इसके एक हिस्से में यशोधरा राजे सिंधिया का निवास है। दूसरे बड़े हिस्से में ज्योतिरादित्य सिंधिया का निवास है। उधर ज्योतिरादित्य मुक्त कांग्रेस में अब अपेक्स बैंक के अध्यक्ष अशोक सिंह का वजन बढ़ जाएगा। अंचल की 34 विधानसभा सीटों पर टिकटों के वितरण की बात हो या फिर कांग्रेस में किसी भी राजनीतिक नियुक्ति की। हर मामले में श्री सिंधिया की बात अन्य गुटों पर हमेशा भारी रहती थी। लेकिन अब उनके जाने पर दूसरे गुट पार्टी की राजनीति में ज्यादा सक्रिय हो जाएंगे। 


ये गुट विशेष तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का माना जाता है। सिंधिया व  सिंह का राजनीतिक झगड़ा समय-समय पर सामने आता रहा है। इस दौर में ग्वालियर से 4 बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके अशोक सिंह का कद बढ़ने का अनुमान भी पार्टी नेता लगा रहे हैं। क्योंकि, वे दिग्विजय सिंह और कमलनाथ खेमे से हैं। श्री सिंधिया से टिकट व दूसरे मसलों पर उनका टकराव बना रहता था। दूसरी तरफ सिंधिया खेमे के कई लोग पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाते हुए इस्तीफे देने से रूक गए हैं। उनका कहना है कि यदि श्री सिंधिया नई पार्टी बनाते तो हम उनके साथ रहते।

कई नेताओं के लिए आया सुनहरा अवसर
लंबे समय से पार्टी के अंदर रहकर ज्योतिरादित्य सिंधिया का विरोध कर रहे और अपनी उपेक्षा झेल रहे कांग्रेस के कुछ नेताओं के लिए अब सुनहरा समय आ गया है। ज्योतिरादित्य भले ही गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन ग्वालियर में कांग्रेस की राजनीति का पत्ता उनके इशारे के बगैर नहीं हिलता था। प्रदेश कांग्रेस में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ सहित अन्य नेताओं के स्थानीय समर्थकों को तवज्जो नहीं मिलती थी। सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले से ऐसे नेताओं ने फ्रंट फुट पर आकर खेलना शुरू कर दिया है। शहर में कभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिंधिया के पुतले नहीं जलाए लेकिन बुधवार को पार्टी के प्रदेश महामंत्री यदुनाथ सिंह तोमर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने फूलबाग चौराहे पर सिंधिया का पुतला जलाया। उधर, एनएसयूआई कार्यकर्ता अभिषेक शर्मा ने अपनी टीम के साथ पहले कटोराताल रोड पर और बाद में नदी गेट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का पुतला जलाया।

सैंकड़ों कांग्रेसियों ने छोड़ दी पार्टी

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के फैसले के बाद ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के 150 कार्यकर्ताओं ने प्रद्युम्न सिंह तोमर के सरकारी आवास 38, रेसकोर्स रोड पर एकत्र होकर पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। इस्तीफा देने वालों में शहर कांग्रेस, मंडलम, सेक्टर पदाधिकारियों के साथ पूर्व पार्षद भी शामिल हैं। बुधवार को ग्वालियर पूर्व के विधायक मुन्नालाल गोयल के समर्थकों ने तहसील के सामने स्थित कार्यालय पर एकत्र होकर पार्टी से इस्तीफा देने का ऐलान किया। इस्तीफा देने वालों में पूर्व पार्षद विद्यादेवी कौरव, दिनेश शर्मा सहित कई पदाधिकारी शामिल थे। पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री रमेश अग्रवाल के साथ महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष कमलेश कौरव, ब्लॉक अध्यक्ष सत्येंद्र शर्मा समेत कई पदाधिकारियों ने माधवराव सिंधिया की छत्री पर पहुंचकर सामूहिक इस्तीफा दिया। कुछ अन्य नेता गुरुवार को इस्तीफा देंगे।

संभाग के इन मंत्री-विधायकों ने दिया इस्तीफा

  1. सुमावली से एंदल कंषाना 
  2. मुरैना से रघुराज कंषाना 
  3. दिमनी से गिर्राज डंडौतिया 
  4. अंबाह से कमलेश जाटव 
  5. मेहगांव से ओपीएस भदौरिया 
  6. गोहद से रणवीर जाटव 
  7. ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर 
  8. ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल 
  9. डबरा से इमरती देवी 
  10. भांडेर से रक्षा संतराम सरोनिया 
  11. करैरा से जसमंत जाटव 
  12. पोहरी से सुरेश धाकड़ 
  13. बमौरी से महेंद्र सिसौदिया 
  14. अशोकनगर से जजपाल सिंह 
  15. मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव।

(ग्वालियर -चंबल संभाग में 34 विधानसभा सीट हैं। जिनमें से 26 पर कांग्रेस जीती थी और 7 भाजपा व एक सीट बसपा ने जीती थी। इनमें से जौरा से चुने गए कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो चुका है।)

कल तक कोसते थे...आज स्वागत

  • जयभान सिंह पवैया, पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की विचारधारा छोड़कर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की पताका थामने का निर्णय लिया, इसलिए उनका स्वागत है। जब पार्टी परिवार में कोई नया कार्यकर्ता जुड़ता है तो खुशी होती है। जो भी हमारे नेता नरेंद्र मोदी का नेतृत्व स्वीकार करे, वह हमें स्वीकार है।
  • राज्यसभा सांसद प्रभात झा ने कहा कि भाजपा में शामिल होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। उनका पार्टी में स्वागत है और वे सभी के साथ मिलकर जनता की भलाई के लिए काम करेंगे।
  • पूर्व मंत्री माया सिंह ने कहा ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया का सपना पूरा हो गया है। उन्होंने बहुत अच्छा निर्णय लिया है और इससे हमारी ताकत बढ़ेगी। साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया भी जनता के लिए अच्छे से काम कर पाएंगे।
  • विवेक शेजवलकर, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा में आकर अपने ही परिवार का इतिहास दोहराया है। वे अच्छे माहौल में जनता की सेवा कर सकेंगे और उनके इस कदम से मप्र में कांग्रेस की समाप्ति की शुरुआत ग्वालियर से हो गई है।

अब करेंगे विरोध 

  • रामनिवास रावत पूर्वमंत्री, कार्यकारी अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि हमारी निष्ठा सिंधिया जी के साथ है लेकिन जहां तक विचारों का सवाल है तो उन्हें नहीं बदला जा सकता। हम कांग्रेस में ही रहेंगे। हम सोनियाजी, राहुलजी व कमलनाथ जी के साथ हैं। फासीवादी पार्टी के साथ नहीं जा सकते। 
  • डॉ. देवेंद्र शर्मा, शहर जिला कांग्रेस, अध्यक्ष ग्वालियर- मैं बरसों से कांग्रेस में हूं। छात्र राजनीति के दौर से माधवराव सिंधिया से जुड़ा था। अब साठ साल का हो रहा हूं। आखरी वक्त में क्याें बदलें। मैं सिंधिया जी का सम्मान करता हूं लेकिन एक कांग्रेसी के नाते जिस भाजपा से हम लड़ाई लड़ते रहे हैं, उसके साथ कैसे खड़े हो सकते हैं? वे विकास कांग्रेस की तरह पार्टी बनाते तो समर्थक उनके साथ खड़े हो जाते।
  • अशोक शर्मा, प्रदेश महामंत्री कांग्रेस- सिंधिया जी वरिष्ठ और सम्मानीय नेता हैं। जो कुछ भी हुआ है, हम सब उससे विचलित हैं। लेकिन वैचारिक आैर मानसिक रूप से हम मूलत: कांग्रेसी हैं। हां अगर वे अपना कोई अलग संगठन बनाते तो हमें उनका साथ देने में कोई दिक्कत नहीं होती। 
  • चंद्रमोहन नागौरी, पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष, ग्वालियर- पिछले कुछ समय से कांग्रेस में सिंधिया को हाशिए पर किया जा रहा था। ऐसे में उन्होंने वही कदम उठाया जो किसी भी स्वाभिमानी नेता को उठाना चाहिए था। लेकिन उनके भाजपा में जाने की बात गले नहीं उतर रही। मेरी व्यक्तिगत राय है कि वे अगर अपने पिताश्री की तरह विकास कांग्रेस बनाते तो आज 20-22 विधायक तो उनके साथ हैं ही, 10-20 और भी आ जाते तो फिर कोई भी उनकी अनदेखी करने की स्थिति में नहीं होता।

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