Friday, 23rd May 2025

कोरोनावायरस / टोक्यो ओलिंपिक रद्द या टालना नामुमकिन जैसा, जापान ने अब तक 90 हजार करोड़ रु. खर्च किए

Fri, Feb 28, 2020 6:01 PM

 

  • जापान में 27 फरवरी तक कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 200 तक पहुंचा, स्कूल बंद
  • जुलाई में होने वाले टोक्यो ओलिंपिक पर असर की आशंका, लेकिन इन्हें रद्द या टालना बेहद मुश्किल
  • ओलिंपिक खेलों का वैकल्पिक मेजबान भी नहीं होता, आनन-फानन में इसे किसी और में आयोजित नहीं किया जा सकता

 

खेल डेस्क. चीन से शुरू हुए कोरोनावायरस का संक्रमण धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों तक फैल चुका है। जापान भी इससे अछूता नहीं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 2 मार्च से सभी स्कूल बंद करने के आदेश दिए। 24 जुलाई से यहां टोक्यो में ओलिंपिक खेल भी होने हैं। इन्हें रद्द करने या टालने की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) के सदस्य डिक पाउंड से लगभग असंभव काम मानते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान इन खेलों पर अब तक 12.6 अरब डॉलर (करीब 90 हजार करोड़ रु.) खर्च कर चुका है। आर्थिक नुकसान अपनी जगह लेकिन उन एथलीट्स पर इनका गंभीर असर होगा जो ओलिंपिक का हिस्सा बनने और पदक जीतने के लिए जिंदगी खपा देते हैं। 

ओआईसी के सामने दो विकल्प
अगर कोरोनावायरस के संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो टोक्यो ओलिंपिक 2020 का क्या होगा? यह सवाल अभी से उठने लगा है। दो विकल्प हैं। पहला- ओलिंपिक खेलों की तारीख बढ़ा दी जाए। दूसरा- इन्हें रद्द किया जाए। लेकिन, सीएनएन और सीएनबीसी के साथ ही आईओसी के सदस्य डिक पाउंड भी दोनों विकल्पों को खारिज करते हैं। इनके मुताबिक, ऐसा करना बेहद मुश्किल होगा। इसके आर्थिक और मानवीय दुष्परिणाम होंगे। 

टालना क्यों मुश्किल?
जब ओलिंपिक खेल हो रहे होते हैं, उस दौरान दुनिया में कहीं भी खेलों का कोई बड़ा इवेंट नहीं होता। आईओसी समेत हर खेल फेडरेशन का कैलेंडर ओलिंपिक शेड्यूल के हिसाब से ही तय होता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि दुनिया के तमाम बेस्ट एथलीट्स इन खेलों का हिस्सा बन सकें। ब्रॉडकास्टर्स से लेकर स्पॉन्सर्स तक भी यही सुनिश्चित करते हैं, ताकि प्रसारण में किसी तरह का टकराव न हो। जब ओलिंपिक नहीं होता, उस दौरान तमाम तरह के खेल आयोजन होते रहते हैं। फुटबॉल, बास्केटबॉल और बेसबॉल के सीजन चलते रहते हैं।   

कोई प्लान ‘बी’ नहीं
ओलिंपिक खेलों का वैकल्पिक मेजबान भी नहीं होता। लिहाजा, दुनिया के इस सबसे बड़े खेलों का आयोजन आननफानन में किसी और देश या शहर में भी नहीं किया जा सकता। पाउंड के मुताबिक, इन खेलों को रद्द करने या टालने का सबसे गंभीर असर एथलीट्स पर होगा। इन खेलों में हिस्सा लेने और पदक जीतने के लिए वो पूरी जिंदगी लगा देते हैं। 

आर्थिक नुकसान कितना?
सीएनबीसी के मुताबिक, 2016 से अब तक आईओसी ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 के लिए 5.7 अरब डॉलर (40 हजार 470 करोड़ रुपए) रेवेन्यू जुटाया। इसका 73 फीसदी हिस्सा मीडिया राइट्स बेचने से आया। बाकी 27 फीसदी प्रायोजकों यानी स्पॉन्सर्स से मिला। अगर खेल रद्द होते हैं तो आईओसी को यह रकम लौटानी होगी। इतना ही नहीं आईओसी दुनियाभर में एथलीट्स के लिए स्कॉलरशिप, एजुकेशन प्रोग्राम्स के साथ ही फेडरेशन्स से जो फंड जुटाता है, वो भी उसे लौटानी होगी। 

जापान का क्या होगा?
टोक्यो ओलिंपिक 2020 की मेजबानी जापान के पास है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वह तैयारियों पर अब तक 12.6 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। कुल अनुमानित खर्च इसका दो गुना यानी करीब 25 अरब डॉलर है। चिंता की बात ये है कि डिक पाउंड के टोक्यो ओलिंपिक पर बयान के बाद जापान की सबसे बड़ी एड एजेंसी देंत्सू के शेयर सात साल के सबसे निचले स्तर पर आ गए। पाउंड ने टोक्यो ओलिंपिक को रद्द करने या तारीख बढ़ाने की चर्चा की थी।

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