Monday, 9th June 2025

ग्राउंड रिपोर्ट / दिल्ली में हिंसा के बाद अमन की उम्मीद...मारे गए लोगों के परिजन अपनों की मौत से दुखी

Thu, Feb 27, 2020 10:19 PM

 

  • परिजनों का दर्द- डेडबॉडी के लिए भटक रहे, अस्पताल बोला-पोस्टमॉर्टम के बिना नहीं दी जा सकती डेडबॉडी
  • दिल्ली सरकार बोली- पुलिस हमसे जैसे-जैसे बोर्ड गठित करने की डिमांड करती जाएगी, हम बिना देर अनुमति देते जाएंगे

 

नई दिल्ली . नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन अपनों की मौत से दुखी तो हैं ही, डेडबॉडी मिलने में हो रही देर की वजह से भी परेशान हो रहे हैं। डेडबॉडी नहीं मिलने का कारण पोस्टमॉर्टम में देर होना बताया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मौत हिंसा की वजह से होने के कारण पोस्टमॉर्टम जरूरी  है, बिना इसके डेडबॉडी नहीं दे सकते। जानकारी के मुताबिक हिंसा में बड़ी तादाद में लोगों की मौत हुई है। इनके पोस्टमॉर्टम के लिए मेडिकल बोर्ड गठित किया जाएगा, जोकि पुलिस की मांग पर सरकार गठित करेगी। इसके बाद ही इनका पोस्टमॉर्टम हो पाएगा। जब तक पुलिस बोर्ड गठित करने की मांग नहीं करती तब तक न तो बोर्ड गठित होगा और न ही किसी का पोस्टमॉर्टम हो पाएगा। डेडबॉडी के पोस्टमॉर्टम के लिए पुलिस मेडिकल बोर्ड गठित करने की मांग क्यों नहीं कर रही इस बारे में पता नहीं चल सका है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार का कहना है कि पुलिस हमसे जैसे-जैसे डिमांड करती जाएगी, हम बिना देर किए अनुमति देते जाएंगे। हमसे पांच डेडबॉडी के लिए बोर्ड गठित करने के लिए कहा था, जो कि कर दिया है। जल्द ही उनका पोस्टमॉर्टम हो जाएगा और शव परिजनों को दिए जाएंगे।

पांच साल से मुस्तफाबाद इलाके में रहकर गुजर-बसर करने वाले शाहिद की सोमवार को मौत हो गई। शाहिद के भाई इरफान ने बताया कि वह सुबह में ऑटो चलाने के लिए गया था। शाम को वापस आते वक्त उसे भजनपुरा में घेर लिया और उसे गोली मार दी। इरफान ने कहा कि हम यहां डेड बॉडी लेने आए हैं तो हमसे पुलिस वाले चार हजार रुपए मांग रहे हैं। कह रहे हैं चार हजार रुपए दो वीडियोग्राफी कराने के लिए। शिव विहार के बाबू नगर में रहने वाला 26 साल का राहुल सोलंकी सोमवार शाम घर से बाहर दूध खरीदने के लिए निकला था। रास्ते में उसे लोगों ने घेर लिया। परिजनों ने कहा कि उसकी मौत गोली लगने की वजह से हुई है। उसकी दो बहनें और एक भाई है। राहुल की मौत सोमवार को हुई थी। उसकी डेड बॉडी लेने के लिए उसकी बहनें और परिवार के अन्य सदस्य अस्पताल की शव गृह गए लेकिन डेडबॉडी नहीं मिल पाई। राहुल के चाचा अरब सिंह ने बताया कि अभी तक डेड बॉडी नहीं दी जा रही। ब्रिजपुरी इलाके में रहने वाले रहने वाले 22 साल के मेहताब की मौत भी सोमवार को हिंसा के दौरान हो गई। मेहताब की भाभी यास्मीन ने बताया कि मेरा देवर दूध लेने गया था।

  • दंगाइयों ने पेट्रोल पंप, दुकानों, शोरूम, कोचिंग सेंटर, घरों व धार्मिक स्थलों को आग लगा दी। कुछ इलाकों में बुधवार को हिंसा भड़की। धर्मेंद्र डागर और शेखर घोष ने जाना पूरा हाल...

भजनपुरा और मौजपुर : दंगाइयों ने कोचिंग सेंटर में लगाई आग, 60 बच्चे फंसे

भजनपुरा पेट्रोल पंप के पास कोचिंग सेंटर चलाने वाली विजय लक्ष्मी का कहना है कि सोमवार करीब दोपहरबाद 6.30 बजे अचानक हजारों की संख्या में दंगाई आए। आते ही बिल्डिंग में आग लगा दी। उनके हाथों में पेट्रोल की बोतलें थीं। वह डंडों में कपड़ा लपेटकर उसमें आग लगाकर फैंक रहे थे। ग्राउंड फ्लोर पर टायर रखे थे। तुरंत आग पकड़ ली। कोचिंग सेंटर फर्स्ट फ्लोर पर है। तेजी से आग लगने पर कमरों में धुंआ भर गया। हादसे के समय करीब 60 बच्चे पढ़ रहे थे। इनमें 20 मुस्लिम बच्चे और 26 लड़कियां थीं। बाहर निकलने के गेट पर आग लगी हुई थी। बचने का कोई रास्ता नहीं था। धुंए की वजह से बच्चे बेहोश होने लगे। बच्चों को पढ़ा रहे प्रमोद जोशी भी बेहोश हो गए। शोर शराबा सुनकर पड़ोस में रहने वाले लोग आए। पीछे की साइड से सीढी लगाकर बच्चों को निकाला। 

विजय लक्ष्मी ने बताया कि माहौल इतना अधिक खराब था कि यमुना विहार से वजीराबाद वाला रोड दंगाइयों से भरा हुआ था। लोगों के हाथों में हथियार थे। जो भी सामाने आ रहा था उसी को आग लगा रहे थे। ऐसे में इन मुस्लिम बच्चों को रातभर अपने घर पर रखा। जबकि हिंदू बच्चों को देर रात उनके परिवार वाले ले गए। मंगलवार सुबह मुस्लिम परिवार अपने-अपने बच्चों को लेकर गए। सभी मुस्लिम परिवार टीचर को बहुत-बहुत धन्यवाद देकर गए।

मुस्तफाबाद और यमुनाविहार : रिश्तेदार के घर भेजे बच्चे, दो दिन से नहीं बना खाना

मुस्तफाबाद में रहने वाले दिनेश कुमार के परिवार ने 2 दिन से खाना नहीं खाया। आखिरकार उसने बुधवार को मूलगांव फर्रुखाबाद (यूपी) जाने का निर्णय लिया। मुस्तफाबाद मुस्लिम बहुल इलाका है। दिनेश ने बताया कि उनके घर में दो दिन का राशन था। खत्म होने पर मंगलवार व बुधवार को घर में खाना नहीं बना। आसपास दुकानें बंद हैं। किसी पड़ोसी ने हेल्प नहीं की। दिनेश के दो छोटे बच्चे व पत्नी है। इलाके के हालात को देखते हुए बुधवार को परिवार सहित अपने गांव चले गए।

यमुनाविहार के निवासी वीरेंद्र ने बताया कि सोमवार शाम चांद बाग, मुस्तफाबाद से करीब चार से पांच हजार की संख्या में दंगाईयों की भीड़ रोड़ की ग्रिलों को तोड़कर इलाके में घुस गई। दंगाइयों के हाथों में लाठी, डं़डे़, पत्थर, पेट्रोल बम और हथियार थे। दंगाइयों ने पेट्रोल पंप को आग लगा दी। फिर आसपास  खड़े करीब 200 से अधिक वाहनों में आग लगाई। करीब 100 से अधिक दुकानों, शोरुम और घरों में आग के हवाले कर दिया। दंगाइयों को देखकर बच्चों को तुरंत ही कॉलोनी में पीछे रिश्तेदार के घर भेजा। दंगाई घरों में कोई भी दिखाई देने पर पत्थर फेंक रहे थे। इस पत्थरबाजी में कई लोग घायल हो हुए। वीरेंद्र ने बताया कि उसकी कमर में कई पत्थर लगे। लेकिन भागने में सफल हो गए। कई आग लगे घरों से लोगों को मुश्किल से निकाला गया। सभी सलामती की दुआ मांग रहे थे।

अशाेकनगर और मीतनगर : दूध-ब्रेड और राशन के सामान को भटक रहे लोग

अशोक नगर में एक शख्स ने बताया कि गली नंबर 7 में सुबह पुलिस ने कई राउंड आंसू गैस के गोले छोड़े हैं। मेरा घर मस्जिद के सामने है पुलिस ने पब्लिक को हिदायत दी है धारा 144 लगी हुई है। लोग एकत्र नहीं हो, उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश है। संदीप नाम के व्यक्ति ने बताया कि मंगलवार दोपहर से पहले इस सड़क पर भीड़ के कारण लोगों का चलना मुश्किल था, आज विरानी छाई हुई है। इस मैकेनिक मार्केट में 150से अधिक डेन्टर, पेन्टर, मैकेनिक काम करते है। आज उपद्रवियों के डर से हालात बिगड़े हुए है। मेन रोड से गली नंबर एक से गली नगर सात तक दुकानों के शटर गंद थे। आगे गली नंबर सात पर एक धार्मिक स्थल से धुआं निकल रहा था।

तभी एक कैमरामैन धुंए की वीडियो बनाने लगा और कुछ शरारती तत्व बढ़े और कैमरा छीनकर जमीन पर पटक दिया। मौके पर मोहम्मद सलीम ने बताया कि लगभग 2 हजार लोगों की भीड़ आई थी। सभी के सभी बाहरी थे, यह साजिश का मामला है। वहीं सामने मीत नगर का भी यही हाल था। बेकरी शॉप पर काम करने वाला जयशंकर ने बताया कि रात को एक  मैं दुकान के उपर फस्ट फ्लोर पर सो रहा था, अचानक शोर हुआ उठकर देखा, कुछ लोग मेरे और दुकानों के शटर तोड़ रहे थे। लोगों ने बताया कि सुबह से अशोक नगर और मीतनगर में दूध ब्रेड और राशन का अन्य सामान मुश्किल से मिल रहे है।

लोग घर में घुसे और हाथ-पैर पकड़ उठा ले गए अंकित को

अंकित शर्मा की हत्या के मामले को लेकर इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि आठ दस लोग उसके हाथ-पैर पकड़ उठा ले गए थे। उसे एक इमारत के अंदर ले जाया गया था। वहीं पर उसकी हत्या करने के बाद शव को नाले में फेंका गया। उस वक्त अंकित के साथ मौजूद रहने वाले तीन अन्य युवक का भी कुछ अता पता नहीं है। उनके परिवार के लोग तलाश में लगे हैं। जानकारी मिली है कुछ महिलाअों ने अंकित के शव को नाले में फेंकते हुए भी देख लिया था।। यह बात बुधवार को जब इलाके में फैली, उसके बाद ही नाले को चैक किया गया था। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है जिस इमारत में अंकित की हत्या की गई, वह एक बड़े राजनीतिक दल के क्षेत्रीय नेता के भाई की है। उसी इमारत से लोग लगातार पथराव कर रहे थे। यह जानकारी सामने आने पर पुलिस की जांच इस एंग्ल पर भी केंद्रित है। अंकित की मौत किस हथियार से की गई, इसका वास्तविक कारण पोस्टमार्टम होने के बाद ही सामने आ सकेगा।

अंकित शर्मा परिवार के साथ खजूरी इलाके में रहते थे। वह साल 2017 में आईबी में भर्ती हुए थे। उनके पिता रविन्द्र शर्मा भी आईबी में ही कार्यरत हैं। मंगलवार शाम उपद्रवी लोग उनकी गली में लोगों के साथ मारपीट कर रहे थे। जिस कारण उनका परिवार तनाव में आ गए। परिजनों ने अंकित को कॉल कर मदद मांगी और घर आने के लिए कहा। अंकित घर नहीं पहुंच सका और रास्ते में उसे दंगाईयों ने घेर लिया। उसे उपद्रवी लोग खींचकर किसी जगह पर ले गए और फिर उसे मार डाला। अंकित के शरीर पर आए चोट के निशान बर्बरता की कहानी बयान करते हैं। अंकित के घर नहीं पहुंचने पर परिजनों ने उसे फोन लगाया लेकिन बात नहीं हो सकी।

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