चंडीगढ़. नॉर्मोथर्मिक ऑर्गन परफ्यूजन सिस्टम की मदद से अब किडनी काे कैडेवर (ब्रेन डेड) डोनर से निकालने के बाद 24 घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। पीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ रीजनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के एचओडी आशीष शर्मा ने बताया कि इस मशीन के जरिए अब 24 घंटे तक किडनी को सुरक्षित रखा जा सकेगा। अभी तक ब्रेन डेड की किडनी निकालने के बाद तीन से चार घंटे तक सुरक्षित ट्रांसप्लांट करना संभव था।
ट्रांसप्लांट के जटिल प्रोसिजर से मुक्ति
आशीष शर्मा ने बताया कि इस मशीन से यह भी पता लग सकेगा कि किडनी ट्रांसप्लांट के योग्य है या नहीं। जिस मरीज को किडनी लगानी है उसे ट्रांसप्लांट के जटिल प्रोसिजर से गुजरना नहीं पड़ेगा। ट्रांसप्लांट से पहले ही पता चल जाएगा कि यह किडनी ठीक है या नहीं ।
एशिया में पहली ऐसी मशीन जो पीजीआई में
प्रो. आशीष ने बताया कि पूरे एशिया में पीजीआई अकेला ऐसा संस्थान जिसके पास किडनी ट्रांसप्लांट के लिए इस तरह की मशीन को इंस्टाल किया गया है। मशीन की कीमत 1.25 करोड़ रुपए है। यह बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखती है, जिससे उसे ज्यादा देर तक रखा जा सकता है। पीजीआई में इस मशीन की मदद से अभी तक तीन सफल ट्रांसप्लांट हो चुके हैं।
पेंक्रियाज भी हो रहे हैं पीजीआई में ट्रांसप्लांट
प्रो. आशीष ने बताया कि पीजीआई देश का पहला ऐसा इंस्टीट्यूट है जहां पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट भी हो रहा है। यह 2004 में एम्स में शुरू हुआ था ,लेकिन उसके बाद से वहां पर पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट बंद पड़ा है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को डायबिटीज होती है, उनकी किडनी भी खराब हो जाती है। पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट से डायबिटीज ठीक हो जाती है। उसके बाद मरीज की किडनी खराब है तो उसका भी ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। इससे मरीज ताउम्र स्वस्थ रहता है। पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट होने के बाद डायबिटीज होने का खतरा भी नहीं रहता ।
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