कांकेर . कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने दावा किया था कि लाल ईंट पर प्रतिबंध लगने से फ्लाई-एश ब्रिक्स को बढ़ावा मिला है। लेकिन जिले में बिना किसी खौफ के प्रतिबंधित लाल ईंट का निर्माण किया जा रहा है। जिला मुख्यालय के इर्द-गिर्द ही इसके सैकड़ों भट्टे लगाए गए हैं लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके चक्कर में आकर लाखों रुपए कर्ज लेकर युवाओं ने फ्लाई-एश ब्रिक्स प्लांट लगा तो लिया लेकिन लाल ईंट के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से उनका माल ही नहीं बिक रहा है।
इसका नतीजा ये है कि बैंक के कर्ज की किस्त नहीं पटाने के कारण अब उनके पास कुर्की के नोटिस आ रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2012-13 से लाल ईंटों पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन 6 साल बाद भी प्रतिबंध का जिले में कोई असर नहीं है। दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी आस्था दिखाते फ्लाई-एश ब्रिक्स डालने वाले युवा माल नहीं बिकने से किस्त नहीं जमा कर पा रहे हैं। फ्लाई-एश ब्रिक्स संघ ने कई बार प्रशासन को आवेदन किया लेकिन खनिज विभाग अवैध लाल ईंट को लेकर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है।
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