Monday, 4th August 2025

अर्थव्यवस्था / मनमोहन बोले- मोदी सरकार स्लोडाउन स्वीकार नहीं करती; जब समस्याओं की पहचान ही नहीं होगी तो ठीक करने के उपाय भी खोजे नहीं जाएंगे

Thu, Feb 20, 2020 9:33 PM

 

  • मनमोहन सिंह ने कहा- 8% ग्रोथ रेट के लिए वित्तीय नीति के बारे में फिर से सोचना होगा, टैक्स रिफॉर्म्स सख्ती के साथ लागू करने की दरकार
  • पी चिदंबरम ने कहा- हर सूचकांक यही बता रहा है कि अर्थव्यवस्था पिछड़ रही है, इस हालत में वित्त मंत्री सीतारमण को इस्तीफा दे देना चाहिए

 

नई दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बार फिर अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा। मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि मोदी सरकार यह स्वीकार नहीं ही नहीं करती कि इकोनॉमी में स्लोडाउन है। खतरनाक तो यह है कि जब उन्हें समस्याओं का ही पता नहीं है तो वे इसे ठीक करने के लिए उपाय भी नहीं खोज रहे। मनमोहन ने यह बात योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की किताब ‘बैकस्टेज: द स्टोरी बिहाइंड इंडियाज हाई ग्रोथ ईयर्स’ के विमोचन के मौके पर यह बात कही।

‘किसानों की आय 3 साल में दोगुनी कैसे होगी, यह समझ नहीं आ रहा’
मनमोहन के मुताबिक, ‘‘योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने अपनी किताब में यूपीए सरकार के अच्छे और खराब कामों के बारे में लिखा है। इन पर हमेशा चर्चा होती रहेगी। लेकिन मौजूदा सरकार तो स्लोडाउन को नहीं मानती। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। मोंटेक 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर हासिल करने के सरकार के दावे को सकारात्मक सोच बताते हैं। हालांकि यह बात समझ में नहीं आती कि तीन साल में किसानों की आय दोगुनी कैसे हो जाएगी।’’

‘‘मोंटेक ने यह भी कहा था कि हमें 8% विकास दर के लिए काम करना होगा, लेकिन इसके लिए वित्तीय नीति के बारे में दोबारा से सोचना होगा। इसके लिए टैक्स सुधारों को भी सख्ती से लागू करने की दरकार होगी। मैं पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव, पी चिदंबरम और मोंटेक का आभारी हूं, जिन्होंने 1990 के दशक में अर्थव्यवस्था में उदारवाद लाने में सहयोग किया।’’

‘अक्षम डॉक्टरों के हाथ अर्थव्यवस्था के इलाज का जिम्मा’
कार्यक्रम में पैनल डिस्कशन के दौरान पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को गहन चिकित्सा (आईसीयू) की जरूरत है। मैं इससे इत्तेफाक नहीं रखता। मेरे हिसाब से ऐसा है- बीमार अर्थव्यस्था को व्हीलचेयर पर बैठाकर आईसीयू में ले जाया जा रहा है। आईसीयू के बाहर मरीज को रोका जाता है और अक्षम डॉक्टर उसका इलाज कर रहे हैं।’’

‘‘हालात ये हैं कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, खपत में गिरावट है, लेकिन सरकार कह रही है कि सब ठीक है। इसका मतलब है कि हमें अर्थशास्त्र की किताबों को दोबारा से लिखना होगा। हर इंडिकेटर यही बता रहा है कि अर्थव्यवस्था पिछड़ रही है। इस हालत में जीडीपी ग्रोथ 7-8% कैसे बढ़ सकती है? मेरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सलाह है कि वे इस्तीफा दे दें।’’

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