पन्ना. पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर बन चुकी दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला को अब आंखों से दिखना बंद हो गया है। वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद हो गया है, जिससे उसकी जिंदगी में अब अंधेरा छा गया है। अपनी जिंदगी के बेहद कठिन दौर से गुजर रही वत्सला को अब सिर्फ हाथियों के कुनबे का सहारा है, वह इन्हीं हाथियों के सहारे ही जंगल में घूमती-फिरती है। डॉक्टरों ने बताया कि वत्सला की आंखों का इस उम्र में आंखों का इलाज संभव नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों का पूरा कुनबा परिवार के इस सबसे बुजुर्ग सदस्य की पूरी देखरेख करता है।
पिछले दो दशक से वत्सला हथिनी की सेहत पर नजर रखने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि वत्सला की उम्र 100 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है, जिसका असर उसके शरीर व अंगों पर पड़ने लगा है। वत्सला दुनिया की सबसे उम्रदराज जीवित हथिनी है, 100 साल की उम्र पार करने पर उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।
हाथियों की आंखों का लेंस अब तक नहीं बना
डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बताया कि वत्सला की आंखों में मोतियाबिंद (कैट्रेंक्ट) हो चुका है, जिसके कारण उसे अब कुछ भी दिखाई नहीं देता। डॉक्टर गुप्ता के अनुसार, हाथियों की आंखों का लेंस अभी तक नहीं बन पाया है इसलिए वत्सला की आंखों का इलाज संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में पन्ना टाइगर रिजर्व के हाथियों के कुनबे की मदद से ही उसे अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। डॉ. गुप्ता के मुताबिक पार्क प्रबंधन द्वारा भी हथिनी वत्सला की पूरी देखरेख की जा रही है। वत्सला को आसानी से पच जाने वाला आहार दिया जाता है साथ ही नियमित रूप से उसके स्वास्थ्य का परीक्षण भी होता है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के लिए धरोहर से कम नहीं
दुनिया की इस सबसे उम्रदराज हथिनी की जिंदगी जितनी लंबी है, उतनी ही रोमांचकारी भी रही है। यह हथिनी अपनी जिंदगी में दो बार मौत को भी चकमा देने में कामयाब हो चुकी है। डॉक्टर संजीव गुप्ता बताते हैं कि टाइगर रिजर्व के ही एक नर हाथी राम बहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में प्राणघातक हमला कर वत्सला को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। मदमस्त नर हाथी ने दांतों से प्रहार कर वत्सला का पेट चीर दिया था लेकिन बेहतर उपचार और सेवा से इस बुजुर्ग हथिनी को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया। मौजूदा समय यह हथिनी देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए जहां आकर्षण का केंद्र है। टाइगर रिजर्व के लिए भी धरोहर से कम नहीं है।
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