Monday, 9th June 2025

राजनीति / मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस की मांग- प्रियंका गांधी को हमारे यहां से राज्यसभा भेजा जाए; सोनिया गांधी निर्णय लेंगी

Wed, Feb 19, 2020 7:58 PM

 

  • मध्यप्रदेश और राजस्थान में 3-3, छत्तीसगढ़ में 2 राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं
  • मप्र में सिंधिया या दिग्विजय में से किसी एक को दूसरे प्रदेश से राज्यसभा में भेजे जाने की अटकलें
  • भाजपा में शिवराज के नाम की चर्चा, राज्यसभा में जाने के बाद मोदी सरकार में मंत्री बनाया जा सकता

 

भोपाल. मध्य प्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी वाड्रा को अपने यहां से राज्यसभा भेजे जाने की मांग की है। अब इस संबंध में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी निर्णय लेंगी। 9 अप्रैल को मध्य प्रदेश और राजस्थान में 3-3 और छत्तीसगढ़ में 2 सीटें खाली हो रही हैं। अगले सप्ताह तक चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी होने की संभावना है।

मध्य प्रदेश में 2 दिन पहले प्रदेश सरकार में मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, जयवर्द्धन सिंह, जीतू पटवारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने प्रियंका को यहां से राज्यसभा में भेजे जाने की मांग की थी। इस पर प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा है कि इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी लेंगी। 


मध्य प्रदेश से अप्रैल में राज्यसभा की 2 सीट भाजपा और 1 सीट कांग्रेस के सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली हो रही हैं। कांग्रेस के लिए इसमें फायदे की बात ये है कि उसके अब 2 सदस्य पहुंचेंगे। जबकि भाजपा को 1 सीट मिलेगी। कांग्रेस से दिग्विजय सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है। जबकि भाजपा से प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया की सीट खाली होनी है।

सिंधिया-दिग्विजय सिंह के लिए विकल्प तलाशना होगा

कांग्रेस की ओर से अभी राज्यसभा के लिए दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया दावेदार हैं। दोनों ही राजघराने से हैं। प्रियंका को यहां से राज्यसभा भेजा जाता है तो दोनों (दिग्विजय, सिंधिया) में से सिर्फ एक को प्रदेश से मौका मिलेगा। ऐसे में कांग्रेस के पास विकल्प यह भी है कि वह एक सीट पर प्रियंका को राज्यसभा भेजे और सिंधिया-दिग्विजय में से किसी एक को दूसरे प्रदेश से भेज दे। उधर, भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम को राज्यसभा भेजे जाने की सुगबुगाहट शुरू हुई है। कहा जा रहा है कि शिवराज को राज्यसभा भेजकर केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। 

ये है राज्यसभा का समीकरण

  • विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा सीट का निर्धारण होता है। 
  • एक राज्यसभा सीट के लिए 58 विधायकों की आवश्यकता होती है। 
  • मप्र में 2 विधायकों के निधन के बाद खाली हुई सीट के अलावा 228 विधायक हैं।
  • विधानसभा में कांग्रेस के पास 115 विधायक हैं। (सरकार में मंत्री 1 निर्दलीय भी शामिल)
  • सरकार को अन्य 3 निर्दलीय विधायक, 2 बसपा और 1 सपा विधायक का भी समर्थन।
  • कांग्रेस के हिस्से में 115 विधायकों और 6 निर्दलीय के समर्थन से 2 राज्यसभा सीट मिलेंगी।
  • भाजपा के पास 107 विधायक हैं। वोटिंग में महज एक सीट ही हिस्से में आएगी।

कांग्रेस-भाजपा में दिग्गजों को राज्यसभा जाने का इंतजार
पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में दिग्गज नेताओं को राजनीतिक वर्चस्व कायम रखने के लिए राज्यसभा जाने का इंतजार है। दिग्विजय के बाद सिंधिया भी राज्यसभा जाने के सबसे बड़े दावेदार हैं। हाल ही में प्रदेश में उनकी सक्रियता और बयानों को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, सुरेश पचौरी और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के नामों की भी चर्चा है। भाजपा में प्रभात झा तीसरी बार राज्यसभा जाना चाहेंगे। भाजपा दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। अनुसूचित जाति और जनजाति के नेताओं में लाल सिंह आर्य और रंजना बघेल को मौका मिल सकता है। वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लुनावत भी दावेदार माने जा रहे हैं। 

प्रदेश में राज्यसभा की 11 सीटें 
प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 8 और कांग्रेस के पास 3 सीटें हैं। भाजपा के राज्यसभा सदस्य एमजे अकबर, थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, प्रभात झा, धर्मेंद्र प्रधान, अजय प्रताप सिंह, कैलाश सोनी और संपत्तिया उइके हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों में दिग्विजय सिंह, विवेक तन्खा और राजमणि पटेल शामिल हैं।


कांग्रेस से नाराज सिंधिया पर भाजपा की नजर
सिंधिया प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही नाखुश चल रहे हैं। कांग्रेस ने सिंधिया को भी चेहरा बनाकर चुनाव लड़ा था। बहुमत मिलने के बाद कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष की बारी आई तो एक सोची-समझी रणनीति के तहत उन्हें इससे दूर रखा गया। सूत्रों का कहना है कि सिंधिया को भी ऐसा अहसास है कि कांग्रेस उन्हें मध्य प्रदेश की बजाय किसी ओर राज्य से राज्यसभा भेज सकती है। इसके बाद ही सिंधिया ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने का ऐलान किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सिंधिया के संपर्क में हैं। अगर कांग्रेस में सिंधिया के खिलाफ हालात बनते हैं तो भाजपा सिंधिया को अपनी कोटे से राज्यसभा में भेजने का प्रस्ताव दे सकती है। 

छत्तीसगढ़ में मोतीलाल वोरा और रणविजय की सीट खाली हो रही
छत्तीसगढ़ से राज्यसभा के लिए अप्रैल में 2 सीटें खाली हो रही हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। पूरी संभावना है कि दोनों सीटें कांग्रेस के खाते में जाएंगी। ऐसे में संभावित दावेदारों में 4 नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। 

प्रियंका गांधी : कांग्रेस की महासचिव का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। इसका कारण- वे जहां से भी राज्यसभा में जाएंगी, उसकी दिल्ली दरबार में हनक बढ़ेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ टीएस सिंहदेव और मोहन मरकाम ने स्वयं उनके नाम का प्रस्ताव दिल्ली में रखा है। 

गिरीश देवांगन : गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गुरू के पुत्र हैं। बचपन के मित्र भी। फिलहाल, गिरीश के पास संगठन में प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी है। प्रदेश में उनका कद पीसीसी चीफ के बाद बहुत मजबूत है।

करुणा शुक्ला : पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा भी राज्यसभा में जाने की बड़ी दावेदार हैं। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आने के बाद से वे पार्टी के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। चुनाव के दौरान बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी पूरी तरह से उनके पास थी। जिसका बड़ा फायदा कांग्रेस को मिला। फिलहाल वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी और विश्वासपात्र भी हैं। कांग्रेस उनको राज्यसभा में भेजकर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। 

मोतीलाल वोरा : वर्तमान राज्यसभा सांसद मोतीलाल वोरा का नाम राज्यसभा के लिए सबसे अव्वल नंबर पर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। कांग्रेस उन्हें किसी भी हालत में नाराज नहीं करना चाहती है। ऐसे में अगर वे स्वयं ही इनकार कर दें तो अलग बात है, नहीं तो उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही है। 

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery