Monday, 9th June 2025

किताब में दावा / योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष बोले- 2013 में राहुल के अध्यादेश फाड़ने के बाद मनमोहन सिंह इस्तीफा देना चाहते थे

Mon, Feb 17, 2020 5:50 PM

 

  • सुप्रीम कोर्ट ने दागी जनप्रतिनिधियों के चुनाव लड़ने के खिलाफ फैसला दिया था, इसे निष्प्रभावी करने के लिए सरकार अध्यादेश लाई
  • राहुल गांधी अपनी ही सरकार के खिलाफ आए, उन्होंने कहा कि अध्यादेश पूरी तरह बकवास है, जिसे फाड़कर फेंक देना चाहिए

 

नई दिल्ली. योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व अध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने रविवार को कहा कि 2013 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने इस्तीफे को लेकर बात की थी। अहलूवालिया के मुताबिक, 2013 में राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने के बाद तब प्रधानमंत्री रहे मनमोहन ने पूछा था कि क्या उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। इस पर मैंने (मोंटेक) प्रधानमंत्री से कहा कि इस्तीफा देना सही नहीं होगा। मनमोहन उस समय अमेरिका दौरे पर थे। 

अहलूवालिया ने अपनी नई किताब ‘बैकस्टेज: द स्टोरी बिहाइंड इंडिया हाई ग्रोथ ईयर्स’ में इसका खुलासा किया। अहलूवालिया ने कहा- ‘‘मैं न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री के प्रतिनिधिमंडल में शामिल था। मेरे भाई संजीव (रिटा. आईएएस) ने यह बताने के लिए मुझे फोन किया कि उन्होंने एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें प्रधानमंत्री की आलोचना की थी। उन्होंने (संजीव ने) आर्टिकल ईमेल किया था और कहा था कि मुझे इससे शर्मिंदगी नहीं होनी चाहिए। इस आर्टिकल की मीडिया में काफी चर्चा हुई थी।’’ अहलूवालिया ने तीन दशकों तक भारत के आर्थिक नीति निर्माता के रूप में काम किया। उन्होंने अपनी किताब में यूपीए सरकार की सफलताओं और विफलताओं का जिक्र किया है।

‘मनमोहन का आर्टिकल दिखाया, तब उन्होंने प्रतिक्रिया दी’

अहलूवालिया ने किताब में लिखा, ‘‘मैंने पहला काम यह किया कि आर्टिकल को लेकर प्रधानमंत्री के पास गया, क्योंकि मैं चाहता था कि वह मुझसे ही इसके बारे में पहली बार सुनें। उन्होंने चुपचाप इसे पढ़ा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अचानक मुझसे पूछा- क्या मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए? कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस्तीफा देना सही होगा। मुझे विश्वास था कि मैंने उन्हें सही सलाह दी है।’’ 

उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘मेरे काफी दोस्त संजीव से सहमत थे। दोस्तों का यह भी मानना था कि प्रधानमंत्री ने लंबे समय से बाधाओं में काम किया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। अध्यादेश फाड़ने वाले घटनाक्रम को प्रधानमंत्री पद की गरिमा कम करने के रूप में देखा गया और इस्तीफा देना उचित ठहराया गया। लेकिन इससे मैं सहमत नहीं था।’’

अध्यादेश वाले घटनाक्रम से यूपीए सरकार को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी

सुप्रीम कोर्ट ने दागी जनप्रतिनिधियों के चुनाव लड़ने के खिलाफ फैसला दिया था। इस फैसले को निष्प्रभावी बनाने के लिए यूपीए सरकार ने अध्यादेश जारी किया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, ‘‘यह पूरी तरह बकवास है, जिसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।’’ इस घटनाक्रम से यूपीए सरकार की किरकिरी हुई थी। 

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