Monday, 9th June 2025

छत्तीसगढ़ / नक्सलियों के निशाने पर बच्चे, अभी 15 सौ कर रहे काम, इसे बढ़ाकर 2 हजार करने का टारगेट

Wed, Feb 12, 2020 8:56 PM

 

  • इंटेलीजेंस की रिपोर्ट : नक्सलियों ने इस साल एक महीने पहले ही फरवरी के मध्य में की टीसीओसी की शुरुआत
  • छात्रों को स्वाचालित हथियार चलाने, रेकी करना, सप्लाई चेन के लिए काम करना जैसी दी जाएगी ट्रेनिंग

 

जगदलपुर. छत्तीसगढ़ मेंं नक्सलियों का टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन) शुरू हो गया है। सोमवार को बीजापुर के एंड्रापल्ली में कोबरा जवानों पर हुए हमले को इस साल के टीसीओसी का पहला हमला माना जा रहा है। यही नहीं इस बार नक्सलियों ने अपनी रणनीति में भी काफी बड़ा बदलाव किया है और पहले मार्च और फिर जनवरी में टीसीओसी की शुरूआत करने के बाद अब इस साल फरवरी के मध्य शुरू किया गया है। इसके साथ ही अब फोर्स, मुखबिरों पर नक्सलियों के हमले बढ़ जाएंगे। 

जवानों और मुखबिरों पर बढ़ जाएंगे हमले

  1.  

    अभी नक्सलियों के टीसीओसी को लेकर जो खुफिया रिपोर्ट सामने आई है उसके अनुसार इस बार टीसीओसी में नक्सलियों के टारगेट में छात्र (बच्चे) रहेंगे। टीसीओसी के दौरान नक्सली ज्यादा से ज्यादा छात्रों को अपने साथ जोड़ने की कवायद करने वाले हैं। सरकार के लिए काम करने वाले अलग-अलग खुफिया विभागों की इंटेलिजेंस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि टीसीओसी में नक्सली बड़ी संख्या में छात्रों को अपने साथ जोड़ेंगे। इन छात्रों को स्वाचालित हथियार चलाने, रैकी करना, सप्लाई चेन के लिए कैसे काम करना है जैसी ट्रेनिंग देंगे।

     

  2. मुखबिरों के नाम पर हत्याओं की शुरूआत 

     

    बताया जा रहा है कि टीसीओसी के दौरान बड़े नक्सली हमले के लिए भी इन्ही छात्रों का उपयोग करेंगे। इधर नक्सलियों ने कुछ समय पहले मंगनार और फिर बोदली मेें एक कोटवार को मुखबिर होने के नाम पर मौत के घाट उतार दिया था। एक के बाद एक दो हत्याओं के समय ही टीसीओसी की शुरूआत मानी जा रही है। इसके बाद बीजापुर के एंड्रापल्ली में नक्सलियों ने जवानों पर बड़ा हमला किया लेकिन वे इसमें ज्यादा सफल नहीं हो पाए और जवानों की जवाबी कार्रवाई के चलते नक्सलियों को पीछे हटना पड़ा।

     

  3. 15 सौ से ज्यादा बच्चे कर रहे नक्सलियों के लिए काम

     

    खुफिया रिपोर्ट बता रही है कि बस्तर के छह जिलों में करीब 15 सौ बच्चे नक्सलियों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे हैं। नक्सली इन बच्चों से दैनिक जरूरत के सामानों की सप्लाई और खरीदी, कैंपों और जवानों की रेकी, सूचनाओं के आदान प्रदान समेत अन्य काम करवा रहे हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण नक्सलियों की सप्लाई चेन के तौर पर काम करना है। इनमें से कुछ तेज छात्रों को नक्सली अपने मिलिट्री दलम में भी शामिल कर रहे है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस साल टीसीओसी के दौरान नक्सली छात्रों की संख्या को दो हजार के आसपास पहुंचाने की कवायद में हैं।

     

  4. स्टूडेंट विंग के चीफ वर्गेस मारा गया, ऐसे में छात्र टारगेट में

     

    बस्तर में अभी नक्सलियों के लिए परिस्थितियां भी काफी बदली है। लगातार आत्मसर्पमण, गिरफ्तारियों और पुलिस के दबाव के बाद अंदरूनी इलाकों में नक्सलियों को काम करवाने के लिए नए लड़ाके नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा नक्सलियों के स्टूडेंट विंग दंडकारण्य छात्र संगठन का चीफ वर्गेस भी एक मुठभेड़ में मारा गया है। वर्गेस की मौत के बाद नक्सलियों को एक ऐसे नए लीडर की तलाश है जो छात्र विंग संभाल सके। ऐसे में नक्सलियों ने इस साल टीसीओसी में युवाओं के बदले छात्रों पर अपना फोकस किया है। छात्रों के ब्रेन वॉश का काम नक्सली लंबे समय से करते आ रहे हैं। 

     

  5. टीसीओसी के दौरान ही बड़े हमले करते हैं नक्सली

     

    टीसीओसी में नक्सली बड़े हमलों को अंजाम देते हैं। ताड़मेटला, बुर्कापाल, झीरम सहित जितनी बड़ी नक्सली वारदातें हुई हैं उसे नक्सलियों ने इसी दौरान अंजाम दिया है। टीसीओसी का आयोजन नक्सली नई भर्तियों, इलाके में दहशत फैलाने और हथियारों की कमी को लूट के जरिये पूरा करने के लिए करते हैं।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery