Saturday, 26th July 2025

रायपुर / एम्स की बर्न यूनिट में बिस्तर पर ही नहलाने की सुविधा, बटन दबाते ही तैयार हो जाएंगा; बर्न के मरीजों को विशेष केमिकल वाला बॉथ टब

Wed, Feb 12, 2020 6:02 PM

 

  • डीकेएस की बर्न यूनिट में पहले ही यह सहूलियत, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भी इसी तर्ज पर
  • हाइड्रोलिक बिस्तर ऐसे हैं कि मरीज को उसी में रहते हुए केमिकल वाले बाथ टब में नहलाकर ड्रेसिंग की सुविधा

 

रायपुर . अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स की बर्न यूनिट सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस के जैसी ही बनायी जाएगी। डीकेएस में 22 बेड का केबिन है। हाइड्रोलिक बिस्तर ऐसे हैं कि मरीज को उसी में रहते हुए केमिकल वाले बाथ टब में नहलाकर ड्रेसिंग की सुविधा है। इसके अलावा और भी गई तरह की सुविधाएं हैं, जिन्हें देखकर एम्स के डायरेक्टर एम. नागकर ने पूूरी बर्न यूनिट को पसंद किया। उन्होंने कहा एम्स में ऐसी ही बर्न यूनिट बनायी जाएगी।   


मंगलवार को एम्स के डायरेक्टर डॉ. नितिन एम. नागरकर, मेडिकल अधीक्षक डॉ. करन पीपरे और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने डीकेएस की बर्न यूनिट का निरीक्षण किया। डीकेएस में बर्न के मरीजों के लिए 22 बेड का केबिन बना हुआ है। इसके अलावा झुलसे हुए मरीजों के लिए यूनिट में ही 50 से ज्यादा बिस्तर अलग हैं। पूरी यूनिट में हाइड्रोलिक बेड हैं। इनका बटन दबाकर बर्न के मरीजों को विशेष केमिकल वाले बॉथ टब में नहलाने की सुविधा है। नहलाने के दौरान मरीज बिस्तर पर ही रहता है। उसे बाथरुम तक ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उसी बेड में मरीज की ड्रेसिंग की भी सुविधा है। ड्रेसर वहीं मलहम पट्‌टी कर सकते हैं। डीकेएस के डॉक्टरों का दावा है कि ये एशिया में किसी भी सरकारी व निजी अस्पतालों में सबसे बड़ी यूनिट है। यहां की सुविधाएं भी अलग है। एम्स के अधिकारियों को इसी वजह से यहां सुविधाएं पसंद आईं। डॉ. नागरकर ने बताया कि डीकेएस की बर्न यूनिट उन्हें पसंद आयी।

एम्स में 16 बिस्तर का आइसोलेशन वार्ड
एम्स में 12 से 16 बिस्तर का आइसोलेशन वार्ड बनाया जाएगा। बर्न यूनिट में जनरल वार्ड भी होगा। इसमें तीन से चार माह लग जाएंगे। उन्होंने कहा कि मॉनीटर, वेंटीलेटर की व्यवस्था की जा रही है। जब सभी तरह के उपकरण व मशीनों की खरीदी कर ली जाएगी, तब बर्न यूनिट का काम चालू करवाएंगे। अभी एम्स में बर्न के मरीजों को भर्ती करने की सुविधा नहीं है। एम्स डायरेक्टर ने डीकेएस के निरीक्षण के दौरान डायलिसिस यूनिट, एमआरआई, सीटी स्कैन को भी देखा। डीकेएस में कम दर पर 24 घंटे मरीजों की जांच की जा रही है। इस कारण रोजाना 25 से ज्यादा एमआरआई व 30 से ज्यादा सीटी स्कैन जांच की जा रही है। अस्पताल के उप अधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि एम्स के अधिकारी बर्न व डायलिसिस यूनिट देखकर प्रभावित हुए। 


24 घंटे डायलिसिस, एचआईवी व हेपेटाइटिस बी के मरीजों का भी
डीकेएस में नेफ्रोलॉजी विभाग में 24 घंटे डायलिसिस की सुविधा है। खास बात यह है कि एचआईवी व हेपेटाइटिस बी के मरीजों के लिए अलग से डायलिसिस मशीन की व्यवस्था है। यह सुविधा कुछ बड़े निजी अस्पतालों में है। एम्स में भी इस तरह की यूनिट बनाने की तैयारी की जा रही है। ताकि एक साथ जरूरतमंद मरीजों का डायलिसिस किया जा सके। एम्स में नेफ्रोलॉजिस्ट हैं, लेकिन कम मशीन होने के कारण ज्यादा मरीजों का डायलिसिस नहीं हो पा रहा है।

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