भोपाल . रोहित हाउसिंग सोसायटी के 330 पीड़ितों ने जमीन का मालिकाना दिलाने के लिए 7 एकड़ जमीन सहकारिता विभाग ने बीडीए से मांगी है, लेकिन बीडीए सिर्फ एक एकड़ जमीन देने को तैयार है। जबकि सोसायटी में 330 सदस्यों ने प्लॉट के लिए करीब 22 करोड़ जमा हैं। दरअसल, सोसायटी की 7 एकड़ जमीन को लेकर सहकारिता विभाग ने बीडीए के अफसरों से जमीन मांगी थी। शुरुआत में तो बीडीए ने ऐसे कोई भी जमीन उनके पास नहीं होने की जानकारी सहकारिता विभाग को दी। लेकिन जब वरिष्ठ अफसरों ने बीडीए से पूछताछ शुरू की तो बीडीए ने 1 एकड़ जमीन देने की जानकारी सहकारिता विभाग को भेज दी। बीडीए का तर्क है कि उनके पास इतनी ही जमीन है। बाकी का रिकाॅर्ड नहीं मिल रहा है। सहकारिता विभाग के अफसरों ने बताया कि सोसायटी के तत्कालीन अध्यक्ष ने बीडीए से सोसायटी के डेवलपमेंट को लेकर अनुबंध किया था। इसके तहत 7 एकड़ जमीन बीडीए के पास मौजूद थी।
विभाग के उपायुक्त विनोद सिंह ने बताया कि 330 सदस्यों को जमीन का मालिकाना हक देने के लिए आवेदन किया है। सोसायटी में सदस्यों ने 22 करोड़ रुपए जमा करा चुके हैं। लेकिन सोसायटी में हुई गड़बड़ी के चलते इतने रुपए का गबन हो गया और सदस्यों को प्लॉट भी नहीं दिए गए। इनको जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए बीडीए के पास मौजूद जमीन मांगी गई थी, लेकिन उन्होंने 1 एकड़ की जमीन होने की बात कही है। इस बारे में दोबारा बीडीए को पत्र लिखा जा रहा है, शेष जमीन की जानकारी मांगी गई है।
मास्टर माइंड जेल में
रोहित हाउसिंग सोसायटी के मास्टरमाइंड और भाजपा नेता घनश्याम सिंह राजपूत फिलहाल जेल में है। सोसायटी में हुई गड़बड़ी की जांच ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद राजपूत की प्रॉपर्टी को नीलाम करने की तैयारी सहकारिता विभाग करेगा।
नए संचालक मंडल के गठन के बाद रजिस्ट्री शून्य करने की होगी कार्रवाई
सोसायटी में 129 अपात्र लोगों को मनमाने तरीके से प्लाॅट बांटे गए थे। तत्कालीन संचालक मंडल ने पुराने सदस्यों से बिना पूछे यह प्लाॅट अपने करीबियों को बांट दिए। जबकि 330 लोग ऐसे हैं जिन्होंने प्लॉट के लिए रुपए तो जमा कर दिए थे, लेकिन विवाद के कारण प्लॉट नहीं मिल पाया। सहकारिता विभाग ने ऐसे करीब 129 अपात्र लोगों की सूची तैयार कर कोर्ट में पेश कर दी है। नए संचालक मंडल के गठन के बाद यह रजिस्ट्री शून्य करने की कार्रवाई शुरू होगी।
आपबीती पत्नी ने कहा-पति के जीते जी प्लॉट नहीं मिला, उम्मीद है कि अब न्याय होगा
कलेक्टोरेट में जनसुनवाई में 187 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई। इसमें 30 शिकायतें सोसायटी में हुई गड़बड़ियों को लेकर दर्ज कराई गई। इंदू यादव पत्नी स्वर्गीय चंद्रिका यादव ने शिकायत दर्ज कराई है कि उनके पति ने सीपी यादव की अध्यक्षता में 1984-85 में एक संस्था का निर्माण किया था। लेकिन कुछ साल पहले उनके पति चंद्रिका यादव की एक हादसे में मौत हो गई। इसके बाद चंद्रिका के नाम पर ही सोसायटी बनाई। इसकी शुरुआत बावड़ियाकलां से हुई। यहां पर मुझे प्लॉट नंबर 10 आवंटित किया गया। संस्था में 135 सदस्य और 121 प्लॉट थे। वर्ष-1997 में चुनाव के बाद एनके यादव को संस्था का अध्यक्ष बनाया गया। दबाव के बाद अध्यक्ष ने बंधक रखा 96 नंबर प्लॉट दे दिया। रजिस्ट्री के नाम पर 30 हजार रुपए भी दिए, लेकिन प्लॉट आज तक नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पति के जीते जी प्लॉट नहीं मिला, उम्मीद है अब न्याय होगा। न्यू वल्लभ सोसायटी के सदस्य नीलू तोलानी ने शिकायत दर्ज कराई कि 43 हजार 750 रुपए जमा किए गए। लेकिन सोसायटी ने आज तक उनको कोई प्लॉट नहीं दिया है।
25 फरवरी काे... 1000 लोगों को प्लॉट देने का लक्ष्य
हाउसिंग सोसायटी के पीड़ितों को 25 फरवरी को प्लॉट दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री कमलनाथ के हाथों समन्वय भवन में पीड़ितों को आवंटन पत्र बांटे जाएंगे। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि सहकारिता विभाग में अब तक करीब 1200 से ज्यादा पीड़ितों ने प्लॉट नहीं मिलने, राशि का गबन होने, जमीन पर कब्जा न देने, रजिस्ट्री कराने के बाद दूसरा प्लॉट देने की शिकायत प्राप्त हुई हैं। इनमें से ज्यादातर सोसायटी में हुई गड़बड़ी की जांच हो गई है। 25 फरवरी को 1000 पीड़ितों को प्लॉट का आवंटन पत्र जारी किया जाएगा।
ग्रीनलैंड के अध्यक्ष व प्लॉट खरीदार पर एफआईआर
ग्रीनलैंड सोसायटी की अविकसित जमीन को विकसित बताकर प्लॉट बचने के मामले में संस्था की तत्कालीन अध्यक्ष मेहजबी पत्नी इरफान हुसैन और प्लॉट खरीदार शाकिब अख्तर के खिलाफ रातीबड़ थाने में एफआईआर दर्ज की है। निरीक्षक एचएन वर्मा की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने बताया कि सोसायटी के तत्कालीन अध्यक्ष ने अविकसित प्लॉटों की रजिस्ट्री करा दी। यह प्लॉट अख्तर को बेचा गया था। उन्होंने यह प्लाॅट यशोदा मुन्नी रजक को बेच दिया।
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