भोपाल (अनिल गुप्ता) . मप्र की 259 मंडियों और 300 उप मंडियों में जाने वाले किसान की सुविधा और एप्रोच रोड बनाने के लिए रखी गई सड़क निधि का आधा पैसा कृषि मंत्री सचिन यादव के कसरावद क्षेत्र की 12 सड़कों को बनाने पर खर्च होने जा रहा है। सचिन मंडी बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, पहले बोर्ड खुद इसे बनाने की तैयारी कर रहा था और शासन से प्रावधानों को शिथिल किए जाने की अनुमति वाली फाइल भी चलाई, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कह दिया कि पीडब्ल्यूडी से सड़क बनवाई जाए। करीब 51 करोड़ रुपए में कृषि मंत्री के क्षेत्र की सड़कें बनने वाली हैं।
किसान सड़क निधि का पैसा अब पीडब्ल्यूडी ट्रांसफर होगा। हैरान करने वाली बात यह है कि सड़क के निर्माण के मामले में 15 सितंबर 2016 को निर्णय हो चुका है कि मंडी बोर्ड आगे से सड़क निर्माण कार्य नहीं करेगा। इसी फैसले के बाद मंडी की अप्रोच रोड बनाने का काम ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (आरआरडीए) करता आ रहा है। लेकिन मंडी बोर्ड ने इस नियम के विपरीत खुद सड़क बनवाने की स्वीकृति मांग ली। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस समय कृषि मंत्री ने अपने क्षेत्र की सड़कों के लिए पैसा मंजूर किया, उस समय किसान सड़क निधि में लगभग सौ करोड़ रुपए ही बचे थे। बहरहाल इस संबंध में कृषि मंत्री से बात करने की कोशिश की गई, पर उनकी ओर से बात नहीं हुई।
35 लाख अधिक में सड़क बनाने का प्रस्ताव
गांव की सड़कें बनाने वाले आरआरडीए के प्रावधान हैं कि 3.75 मीटर चौड़ी एक किमी डामर सड़क 60 से 65 लाख में बनती है। जबकि कृषि मंत्री के क्षेत्र की प्रति किमी सड़क के लिए एक करोड़ रुपए व्यय होंगे। इसे लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इधर, सभी सड़क मंडी को जोड़ने वाली होनी चाहिए। मंत्री के क्षेत्र की 12 सड़कें यह कहकर ही मंजूर की गईं कि इससे मंडी जुड़ेगी।
ये हैं सड़कें
पूर्व कृषि मंत्री भी कर चुके ऐसा
तत्कालीन शिवराज सरकार में कृषि मंत्री रहे गौरीशंकर बिसेन ने सीएम की सहमति के बाद मंडी बोर्ड से ही सड़क बनवाई थी। इसी को देखते हुए ही मौजूदा प्रस्ताव तैयार कराया गया, लेकिन मुख्यमंत्री ने निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी कर दी।
पैसा अभी आया नहीं
मंडी बोर्ड ने ही प्रशासनिक स्वीकृति दी है। पैसा अभी आया नहीं, लेकिन कार्यपालन यंत्री के खाते में सीधे जमा होगा। हम जल्द ही टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ करने वाले हैं। - आरके मेहरा, प्रमुख अभियंता, पीडब्ल्यूडी
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