Sunday, 14th December 2025

रिपोर्ट का सच / अडानी विलमार प्लांट का टीबीएचक्यू सैंपल फेल, ब्रांडेड सोयाबीन तेल में करते थे मिलावट

Mon, Feb 10, 2020 7:01 PM

 

  • कंपनी के नीमच स्थित प्लांट पर प्रशासन के दल ने 26 दिसंबर 2019 को मारा था छापा 
  • प्लांट में सोयाबीन रिफाइंड ऑइल पैक करने के साथ ही बेसन भी तैयार होता है

 

नीमच. अडानी विलमार लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनी के हाईवे स्थित प्लांट पर प्रशासन के दल के साथ खाद्य सुरक्षा विभाग ने 26 दिसंबर 2019 को छापा मारा था। यहां से लिए टीबीएचक्यू का सैंपल भोपाल लैब की जांच में फेल हो गया। टेरशरी ब्यूटाइल हाइड्रो क्यूनोन (टीबीएचक्यू) का उपयोग सोयाबीन तेल की उपयोग अवधि बढ़ाने में होता था। इस कैमिकल को सोयाबीन तेल में मिलाकर निश्चित उपयोग अवधि से 4 माह अतिरिक्त रखा जा सकता था। खाद्य सुरक्षा मानक के उल्लंघन मामले में कंपनी डायरेक्टर व माल भेजने वाले पर केस दर्ज होगा।


26 दिसंबर को नीमच स्थित अडानी विलमार ग्रुप के प्लांट में प्रशासन की टीम ने जांच कर फार्च्यून सोयाबीन रिफाइंड ऑइल पैक, फार्च्यून बेसन पैक और टीबीएचक्यू पैक का सैंपल लिया था। निरीक्षण के दौरान कंपनी के मैनेजर शिवकुमार शाक्य भी मौजूद थे। इस दौरान 6.34 लाख रुपए की कीमत का 748 किलोग्राम टीबीएचक्यू प्लांट में ही सील किया था।


तेल की अवधि बढ़ाने के लिए लैब में करते थे मिलावट
इस दौरान खाद्य सुरक्षा कार्यालय को टीबीएचक्यू सैंपल की रिपोर्ट मिली, जो जांच में फेल हो गया। रिपोर्ट में स्पष्ट सामने आया कि सोयाबीन तेल में टीबीएचक्यू मिलाकर खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ। मप्र में अडानी विलमार के प्लांट में सैंपल फेल होने का यह संभवत: पहला मामला है। लोग बड़ा ब्रांड देखकर विश्वास के साथ अधिक कीमत देकर खरीदते थे। अधिक समय पुराने तेल में कैमिकल की गंध दबाने के लिए कंपनी ने एंटी ऑक्सीडेंट के तौर पर टीबीएचक्यू का उपयोग किया था।


गुजरात की कंपनी से खरीदा था स्टॉक
जांच में सामने आया कि अडानी विलमार प्लांट ने टीबीएचक्यू का स्टॉक गुजरात की माइल स्टोन प्रीजर्ववेटेप प्राइवेट लिमिटेड से खरीदा है। यूनिट के एक हिस्से में तेल व दूसरे में बेसन तैयार होता है। दोनों ही प्लांट एक ही प्रिमाइसेज में लेकिन अलग यूनिट में संचालित होते हैं। चौंकाने वाली बात ये भी रही कि टीबीएचक्यू जिस लैब में मिला वहां पर तार, कील जैसे पार्ट्स भी थे। जबकि खाद्य पदार्थ तैयार करने के लिए अलग जगह होती है।


ऐसे तेल का उपयोग करने से शरीर पर होते हैं इफैक्ट
तेल की उपयोग अवधि सामान्यत: 6 से 8 माह रहती है। टीबीएचक्यू के जरिए अडानी विलमार लिमिटेड प्लांट में आर्टिफिशियल ढंग से इसकी उपयोग अवधि 4 माह अतिरिक्त बढ़ाई जा रही थी। सीएमएचओ डॉ. एसएस बघेल कहते हैं खाद्य पदार्थ में कैमिकल के उपयोग से श्वसन, पाचन तंत्र, पेट ज्यादा प्रभावित होता है। इन्हीं अंगों से जुड़े साइड इफेक्ट भी होते।

भोपाल लैब से रिपोर्ट मिल गई, केस एडीएम कोर्ट जाएगा अडानी विलमार लिमिटेड के यहां से लिया टीबीएचक्यू सैंपल फेल हो गया। तेल की उपयोग अवधि बढ़ाने के लिए इसे मिलाना सामने आया। रविवार को रिपोर्ट प्राप्त हुई। कंपनी डायरेक्टर और माल भेजने वाले पर केस दर्ज होगा। लैब में भी अनियमितता मिली थी। सामग्री को उसी वक्त सील कर दिया था। अब मामला एडीएम कोर्ट जाएगा।
संजीव कुमार मिश्रा, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी नीमच

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