Monday, 9th June 2025

एससी-एसटी एक्ट / सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल बाद अपना ही फैसला पलटा, केंद्र सरकार के संशोधन को मंजूरी दी; कानून मूलरूप में बना रहेगा

Mon, Feb 10, 2020 6:36 PM

 

  • 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट में केस दर्ज होने पर बिना जांच के तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगाई थी।
  • देश भर में विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने संसद में प्रस्ताव लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदल दिया था

 

नई दिल्ली. अनुसूचित जाति-जनजाति के उत्पीड़न से जुड़े कानून (एससी-एसटी एक्ट) के प्रावधानों में पिछले साल सरकार की तरफ से किए गए संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।जस्टिस अरुण मिश्र, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस रवींद्र भट्ट की बेंच ने सोमवार को इस मामले में 2-1 से फैसला दिया, यानी दो जज फैसले के पक्ष में थे और एक ने इससे अलग राय रखी।

इस मामले में याचिकाकर्ता प्रिया शर्मा ने कहा- मार्च 2018 में कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर दर्ज करने से पहले अधिकारियों से मंजूरी लेनी होगी यानी उसके बाद ही एफआईआर दर्ज होगी। लेकिन, अब एफआईआर दर्ज करने के लिए इसकी जरूरत नहीं होगी, यानी एससी-एसटी एक्ट अपने मूल रूप में लागू रहेगा। लेकिन, अगर अदालत को लगता है कि आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं हैं, तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। एक अन्य वकील ने कहा- अदालत ने कहा कि इस मामले में अग्रिम जमानत दी जाएगी। एफआईआर और गिरफ्तारी अलग-अलग प्रक्रिया हैं।

एससी-एसटी एक्ट को लेकर अब तक क्या हुआ

  • 20 मार्च 2018 - सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने स्वत: संज्ञान लेकर एससी-एसटी एक्ट में बदलाव किए थे। तब कोर्ट ने माना था कि एससी-एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी की व्यवस्था के चलते कई बार बेकसूर लोगों को जेल जाना पड़ता है। लिहाजा कोर्ट ने तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के मुताबिक, मामले में अंतरिम जमानत का प्रावधान किया गया था और गिरफ्तारी से पहले पुलिस को एक प्रारंभिक जांच करनी थी।
  • 9 अगस्त, 2018 - फैसले के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार एससी-एसटी एक्ट में बदलावों को दोबारा लागू करने के लिए संसद में संशोधित बिल लेकर आई। फिर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की थी।
  • 1 अक्टूबर 2019 - शीर्ष अदालत की 3 जजों की बेंच ने 2 जजों की बेंच के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा- एससी-एसटी वर्ग के लोगों को अभी भी देश में छुआछूत और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। उनका अभी भी सामाजिक रूप से बहिष्कार किया जा रहा है। देश में समानता के लिए अभी भी उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery