अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ एक स्कूल में कक्षा 8वीं में पढ़ने वाली सपना, अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर रोज नदी के किनारे रेत पर तीन से चार किमी दौड़ती है। मकसद साफ है, उसे देश का नंबर एक धावक बनना है। इन सबके बीच उसकी गरीबी आड़े न आ जाए, तो डाइट पूरी करने के लिए सहेलियों के साथ नदी में मछली पकड़ती है। जब मछलियां ज्यादा हो जाती हैं तो उन्हें सुखाकर आगे के लिए रख लेती है। मैराथन में वह जूतों के टूटने के बाद भी सिर्फ मोजे पहनकर दौड़ी और विजेता बन गई।
सीतापुर विकासखंड के ग्राम भिठवा निवासी सपना तिग्गा ने जिला स्तरीय मैराथन में भाग लेने के लिए विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता में पहला स्थान पाया। सपना ने बताया कि वह जब कक्षा 6 में थी तभी से धावक बनने की तैयारी कर रही है। स्कूल के शिक्षक संस्कृतन एक्का ने उसे दौड़ने के लिए अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से वह अपनी सहेेलियों के लिए हर सुबह जल्दी उठती है और कभी स्कूल ग्राउंड में तो कभी घर से कुछ दूर स्थित मांड नदी के किनारे रेत में दौड़ती है।
सपना ने बताया कि वह धावक के रूप में नाम कमाने के बाद शिक्षिका बनना चाहेगी। जब वह बच्चों को पढ़ाएगी तो धावक बनने के लिए प्रेरित करेगी जैसा कि उसके शिक्षक ने किया। कहती है कि खेल में नाम कमाओ तो खेल कोटे से सरकारी नौकरी मिल जाती है। उसने बताया कि वह पिछले साल जब कक्षा सात में थी तब जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने अंबिकापुर गई थी, लेकिन उसमें वह कोई स्थान नहीं बना सकी। अब प्रतियोगिता में पहला स्थान बनाने हर रोज नदी की रेत में दौड़कर तो पसीना बहा रही है।
सपना ने बताया कि सीतापुर में हुई ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में भले ही उसे पहला स्थान मिला है, लेकिन उसने बिना जूते के ही दौड़ लगाई। उसके जूता कुछ दिन पहले ही टूट गए थे। उसे पता था कि प्रतियोगिता होने वाली है, लेकिन पैसा नहीं होने के कारण उसके परिजन जूते खरीदकर नहीं दे सके। उसने बताया कि वह जब पिछले साल जिला स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने गई थी तब भी नंगे पैर ही दौड़ लगाई थी।
सपना के अंदर जूनुन है, वह जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने मेहनत कर रही है। अभावों में भी वह बेहतर प्रदर्शन कर रही है। आर्थिक रूप से उसका परिवार कमजोर है। स्कूल की तरफ से हम लोग उसका साथ देंगे।संस्कृतन एक्का, शिक्षक, पूर्व माध्यमिक स्कूल, भिठवा
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