Tuesday, 10th June 2025

खंडवा / दातून बेचने वाले ने पटरी में देखी दरार, दाैड़कर स्टेशन पर बताया; पाॅइंट्समैन ने 100 मीटर पहले रुकवा दी ट्रेन

Thu, Feb 6, 2020 7:57 PM

 

  • प्लेटफॉर्म नंबर-2 के डाउन ट्रैक पर दिखी थी दरार
  • गुरुवार को यहां पटरी बदलने का काम किया जा रहा

 

खंडवा. रेलवे स्टेशन के प्लेटफाॅर्म नंबर-2 पर बुधवार को एक ट्रेन हादसा टल गया। पुणे से दानापुर जाने वाली ट्रेन आने ही वाली थी कि दातून बेचने वाले युवक काे ट्रैक की पटरी में दरार दिखाई दी। वह दाैड़ते हुए सीधे उपस्टेशन मैनेजर कुलदीप पटवा और एसके मंडल के पास पहुंचा और सूचना दी। जानकारी मिलते ही उप-स्टेशन मैनेजर ने पाॅइंट्समैन काे सतर्क रहने के निर्देश दिए। तत्काल पाॅइंट्समैन राजेंद्र पाल और पारन्या बिहारे सक्रिय हुए और खतरे की झंडी दिखाते हुए सामने से आ रही ट्रेन को 100 मीटर दूर ही रोक रुकवा दिया।

गुरुवार को यहां पटरी बदलने का काम किया जा रहा है। बुधवार को यहां पीडब्ल्यूआई के कर्मचारियों ने पटरी के दाेनाें तरफ लाेहे की गार्डर रखकर शिकंजे से कंसा था। इसके बाद ट्रैक का प्राथमिक सुधार किया गया और ट्रेन को 7 किमी की स्पीड से निकाला गया था।  

रियल हीरो : पटरी में दिखा गेप, मैं दौड़कर पहुंचा उप-स्टेशन मास्टर के पास
मैंने (गुड्‌डू मोरे निवासी तलवड़िया) सुबह 7 बजे इटारसी की ओर जाने वाली हावड़ा मेल में दातून बेचा। ट्रेन जाने के बाद रेलवे कैंटीन के पास प्लेटफार्म से ट्रैक पर बाजार की ओर जाने के लिए उतरा तो मेरी नजर पटरी पर पड़ी। पहले तो मैं समझ नहीं पाया लेकिन ध्यान से देखा तो लगा कि पटरी में इतना गैप नहीं होता है, यह टूट गई। तत्काल प्लेटफार्म पर चढ़कर उप-स्टेशन मास्टर के केबिन की ओर भागा। वहां पहुंचकर मैंने जब उनको जानकारी दी तो वे मेरे साथ में मौके पर आए। टूटी पटरी को देखकर बोले तुमने बहुत अच्छा काम किया। आज हादसा होने से बचा लिया।


16 साल पहले बदली थी 525 जीएमटी क्षमता की पटरी
जानकारी के मुताबिक प्लेटफाॅर्म नंबर-2 के ट्रैक की पटरी 16 साल पहले 2003 में बदली गई थी। पटरी की क्षमता 525 ग्रास मिलियन टन (जीएसटी) है। रेल अधिकारियों ने बताया लूप लाइन की पटरी पर एक साल में 20 जीएमटी का उपयोग होता है। ट्रैफिक के दबाव को मान भी ले तो 16 साल में पटरी की क्षमता 350 जीएमटी ही उपयोग हुई। अभी भी पटरी की क्षमता का 175 जीएमटी उपयोग बाकी है। ऐसे में प्रथम दृष्टया पटरी के टूटने का प्रमुख कारण मेंटनेंस में कमी ही नजर आ रही है।


पटरी के निर्माण में स्टील के साथ 13 प्रकार के रसायनों का उपयोग
पटरी के निर्माण में स्टील सहित 13 प्रकार के रसायनों का उपयोग होता है। इसमें कार्बन, मेगनीज, सिलिकॉन, सल्फर, फास्फोरस, एल्युमीनियम, क्रोमियम, हाईड्रोजन, मोलिबेडनियम सहित अन्य प्रकार के रसायन शामिल रहते हैं।


15 डिग्री के बाद टूट सकती है पटरी लेकिन सुबह तापमान 18 डिग्री था
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पुरानी होने और तापमान कम होने के कारण पटरी टूटी है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है 15 डिग्री से कम तापमान के बाद ही इस तरह की घटना होती है। हालांकि जब बुधवार की सुबह पटरी टूटी तब तापमान 18 डिग्री सेल्सियस था।


फरवरी-2019 में मालगोदाम में दो बार ट्रैक से उतरी थी मालगाड़ी
फरवरी-2019 में चार दिन के भीतर दो बार पटरी टूटने से मालगोदाम में मालगाड़ी ट्रैक से नीचे उतरी थी। वहीं 6 सितंबर- 2019 को सुरगांव-बंजारी व चारखेड़ा खुर्द स्टेशन के बीच पटरी टूटी थी। इस कारण मुंबई की ओर जा रही काशी एक्सप्रेस हादसे का शिकार होने से बची थी। रेलवे के ट्रेक मेंटेनेंस को लेकर हर बार सवाल उठते हैं लेकिन समस्या बनी रहती है।

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