जगदलपुर . बस्तर के ग्रामीण इलाके से लेकर शहरी क्षेत्र में रहने वालों में अब कैंसर लगातार बढ़ता चला जा रहा है। वर्ष 2014 में जहां इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 149 थी, वहीं अब यह बढ़कर 392 तक पहुंच गई है। हर साल इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ने के बाद इसके इलाज के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है।
300 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर मेडिकल कॉलेज बनाया गया, लेकिन अब तक इसके लिए कोई सुविधा ही नहीं दी जा सकी है। खानापूर्ति के तहत कैंसर का इलाज करवाने कुछ मरीजों को कीमोथैरेपी के नाम पर दवा देकर उन्हें रायपुर और विशाखापटनम भेजा जा रहा है। 2014 तक कैंसर से मरने वालों की औसत संख्या 6 थी, जो अब बढ़कर 12 तक पहुंच गई है। गैर संचारी रोग के नोडल अधिकारी और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जीसी शर्मा ने बताया कि कैंसर की रोकथाम के लिए अब तक कोई विशेष व्यवस्था नहीं की जा सकी है। कैंप लगाकर मरीजों की स्क्रीनिंग की जाती है।
ऐसे काल बन रहा कैंसर
बस्तर की महिलाएं अब तक एनीमिया से परेशान थीं, लेकिन अब कैंसर के मामले भी महिलाओं में बढ़ते चले जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 2014 में कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या 58 थी, जो 2019 में 243 पहुंच गई।
जानिए वर्तमान में कैंसर के क्या हैं हालात : मुंह का कैंसर
110 पुरूष |
93 महिला |
सर्वाइकल कैंसर
00 पुरूष | 39 महिला |
इतने मरीजों का इलाज जारी : मुंह का कैंसर
55 पुरूष |
50 महिला |
स्तन कैंसर
महिला | 57 |
अन्य कैंसर
35 पुरूष |
32 महिला |
बस्तर में तंबाकू ही कैंसर का सबसे बड़ा कारण
बस्तर के ग्रामीण इलाकों में तंबाकू का उपयोग अधिकांश लोग करते हैं। इसमें खैनी के साथ ही गुटखा, बीड़ी और सिगरेट का चलन सालों से चल रहा है। तंबाखू के अत्यधिक उपयोग को बस्तर में कैंसर का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। तंबाखू के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग जागरूक नहीं हो सके हैं।
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