रतलाम. जिला अस्पताल को टीचिंग अस्पताल का दर्जा तो मिल गया है, लेकिन यहां विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार होना कब से शुरू होंगे, यह तय नहीं हो सका है। प्रबंधन ने कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन (सीपीएस) को अस्पताल में पढ़ाई के लिए आवेदन दिया था। सीपीएस की टीम 7 महीने पहले जिला अस्पताल आकर निरीक्षण भी कर गई थी, इसकी रिपोर्ट भी पक्ष में दी थी। लेकिन प्रबंधन को बोर्ड से अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में अस्पताल में डॉक्टरों के डिप्लोमा कोर्स का मामला अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
जिला अस्पताल में डॉक्टरों को अस्थि, सर्जरी, शिशु, निश्चेतना व मेडिसिन की पढ़ाई करवाने के लिए सीपीएस को आवेदन किया था। पहले चरण में आर्थोपेडिक, मेडिसिन और सर्जरी के विशेषज्ञ कोर्स की अनुमति एमसीआई से मिल चुकी है। इसके बाद जुलाई में सीपीएस की टीम जिला अस्पताल आई अाैर भवन, मशीनों सहित सुविधाओं का जायजा लिया। निरीक्षण सकारात्मक रहा था, लेकिन अभी सीपीएस बोर्ड से जवाब नहीं आया है। ऐसे में अस्पताल में डिप्लोमा काेर्स की शुरुआत कब से होगी यह भी तय नहीं है।
अस्पतालों को होगा फायदा, गायनिक शामिल नहीं
प्रबंधन ने गायनिक में डॉक्टरों की कमी के चलते आवेदन नहीं किया। अस्पताल में डॉक्टरों की पीजी होने से मरीजों के साथ प्रदेश के अन्य अस्पतालों को भी फायदा होगा। प्रदेश के ज्यादातर अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। इसका फायदा नीट-पीजी क्वालिफाई करने वाले सरकारी या एनआरएचएम के अधीन कांट्रेक्ट पर काम कर रहे डॉक्टरों को मिलेगा। चयन मेरिट के आधार पर होगा। जो डॉक्टर यहां से डिप्लोमा करेंगे उन्हें प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सेवा देने का बांड भी भरकर देना होगा।
बोर्ड से अनुमति नहीं मिली है। डिप्लोमा कोर्स शुरू होना तो तय है, हमारी सुविधाएं भी बेहतर हैं। उम्मीद है जल्द फैसला हो जाएगा।डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन
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