Monday, 9th June 2025

निर्भया केस / सुप्रीम कोर्ट का दोषी से सवाल- कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रपति ने दया याचिका ठुकराने में दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया

Tue, Jan 28, 2020 10:31 PM

 

  • राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को दोषी मुकेश की दया याचिका ठुकरा दी थी, मुकेश ने न्यायिक समीक्षा की मांग की
  • मुकेश के वकील ने कहा- आपको हर कदम पर दिमाग लगाना होता है, आप किसी की जिंदगी से खेल रहे हैं

 

नई दिल्ली. निर्भया केस के 4 दोषियों में से एक मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक समीक्षा के लिए याचिका दाखिल की। मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि दया याचिका खारिज करते वक्त दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस पर जस्टिस आर भानुमति की तीन सदस्यीय बेंच ने सवाल किया कि आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने ऐसा करते वक्त अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया?

मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग करते हुए कहा था कि राष्ट्रपति के सामने सभी तथ्य नहीं रखे गए।

कोर्ट रूम में किसने, क्या कहा?

  • दोषी ने क्या कहा: अंजना प्रकाश ने कहा कि दया याचिका में सभी तथ्य राष्ट्रपति के सामने नहीं रखे गए। दया याचिका खारिज करने की प्रक्रिया में खामी थी। राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों के इस्तेमाल का मामला अदालत की न्यायिक समीक्षा के अधिकार के दायरे में आता है। आपको हर कदम पर अपना दिमाग लगाना होता है (दया याचिका पर फैसले के संबंध में)। आप किसी की जिंदगी से खेल रहे हैं। मुकेश को जेल में बेरहमी से पीटा गया।
  • केंद्र ने क्या कहा: राष्ट्रपति निर्भया मामले में सभी अदालतों के फैसलों को नहीं देख रहे थे। राष्ट्रपति को दया दिखाने के लिए पहले खुद को संतुष्ट करना था, न कि उन्हें पर प्रक्रिया को देखना था। ऐसे मामलों में न्यायिक समीक्षा की अदालत की शक्तियां बेहद सीमित होती हैं। दया याचिका में देरी का अमानवीय असर हो सकता था। दस्तावेज, सबूत और फैसले गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजे थे। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा: बेंच ने दोषी मुकेश की वकील से सवाल किया कि आप यह कैसे कह सकते हैं कि यह तथ्य राष्ट्रपति के सामने नहीं रखे गए? और आप यह कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रपति ने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया?
     

मुकेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- यह सर्वोच्च प्राथमिकता का मामला

मुकेश ने शनिवार को दया याचिका खारिज होने की न्यायायिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने बताया था कि शत्रुघ्न चौहान केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर हमने अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट से दया याचिका के मामले में न्यायिक समीक्षा की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुकेश के वकील से इसके लिए तुरंत रजिस्ट्री से संपर्क करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी को 1 फरवरी को फांसी दी जा रही है, तो ये मामला सर्वोच्च प्राथमिकता में होना चाहिए।

निर्भया केस में अब तक

  • निर्भया के चारों गुनहगार जेल नंबर 3 की हाई सिक्योरिटी सेल की अलग-अलग कोठरियों में हैं। दूसरे कैदियों से तो दूर ये लोग आपस में भी नहीं मिल पाते। दिन में एक-डेढ़ घंटे के लिए ही इन्हें कोठरियों से निकाला जाता है। चारों एक साथ नहीं निकाले जाते।
  • 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्मी पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने वारदात के वक्त खुद के नाबालिग होने का दावा किया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई नया आधार नहीं है।

3 दोषियों के पास 5 विकल्प

  • पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है। पहले वॉरंट में यह तारीख 22 जनवरी थी। दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। यही विकल्प अक्षय सिंह के पास हैं। विनय शर्मा के पास भी दया याचिका का विकल्प है। दोषी मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है। यानी तीन दोषी अभी 5 कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
  • जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।

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