रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के गुरुवार को बुलाए गए विशेष सत्र शुरू होने के साथ ही हंगामा जारी है। सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टेबल पर लगी अब इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को लेकर भाजपा ने आपत्ति जताई है। भाजपा का कहना है कि बिना अधिसूचना जारी किए सदन में ऐसे डिवाइस नहीं लगाए जा सकते हैं। भाजपा विधायकाें ने सदन में सदस्यों की निगरानी करने का भी आरोप लगाया। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदन 5 मिनट स्थगित कर दिया और वहां से डिवाइस हटवाई गई। विधानसभा का विशेष सत्र एससी/एसटी आरक्षण संशोधन विधेयक के अनुसमर्थन में बुलाया गया है।
सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टेबल से जुड़ी एक (स्क्रीन) इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगी थी। बताया जा रहा है कि इसे सदस्यों की सुविधा के लिए शुरू किया जा रहा था। इसी को लेकर भाजपा विधायकों ने आपत्ति की। भाजपा ने कहा कि बिना अधिसूचना जारी किए सदन में ऐसे डिवाइस नहीं लगाए जाे सकते हैं। ये सदन का विशेषाधिकार है। विधायक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिव रतन शर्मा ने पूछा कि क्या सदस्यों की निगरानी के लिए ऐसी मशीन लगाई जा रही है?
इस पर संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि इस सदन में बगैर अध्यक्ष की अनुमति के कोई चीज नहीं लग सकती है। जो आप कर सकते हैं, वह मैं भी कर सकता हूँ, लेकिन कुछ लोकतांत्रिक मर्यादाएं हैं। वहीं मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मशीन मैंने भी देखी, मुझे भी उत्सुकता हुई कि ये है क्या? सचिवालय से मैंने पूछा तो पता चला कि सभी सदस्यों की टेबल पर लगेगा। ये सदस्यों की सुविधा के लिए लगाया गया है. इससे सदस्यों को स्क्रीन पर ही प्रश्नोत्तरी मिल जाएगी। संदर्भो के लिए लाइब्रेरी नहीं जाना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अगर कोई मशीन लगाई है तो यह व्यवस्था का प्रश्न नहीं होना चाहिए। यह सदस्यों की सुविधा के लिए है। वहीं स्पीकर डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा पेपरलेस वर्किंग की ओर बढ़ रही है। ये इसकी शुरुआत है। इसे सबकी टेबल पर लगाया जाएगा, लेकिन सदस्यों को आपत्ति है तो सदन की कार्यवाही 5 मिनट रोककर इसे हटा दिया जाएगा। अंततः स्पीकर की व्यवस्था के बाद सीएम के टेबल पर लगी स्क्रीन हटाई गई।
इससे पहले विशेष सत्र शुरू होने के साथ ही हंगामा हो गया। विपक्षी दल भाजपा और जोगी कांग्रेस ने राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध करते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया। राज्यपाल के अभिभाषण को दो सत्रों में करने को लेकर विपक्ष ने नाराजगी जताई है। विपक्ष का कहना है कि वो किसी भी गलत परंपरा का हिस्सा नहीं बनेगा। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इतिहास में यह पहली घटना है जब विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया है।
दरअसल, विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण संशोधन विधेयक को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के अनुसमर्थन में बुलाया गया है। विपक्ष की नाराजगी राज्यपाल के अभिभाषण को दो सत्रों में समाहित किए जाने को लेकर है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्यपाल का अभिभाषण संवैधानिक परंपरा के अनुरूप नहीं कराया जा रहा है। संविधान संशोधन के अनुसमर्थन पर चर्चा होगी और उस दिन ही कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा भी। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने राज्यपाल के अभिभाषण शुरू होने से पहले ही आपत्ति दर्ज कराई थी।
भाजपा विधायक दल ने इसको लेकर रविवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके और स्पीकर डाॅ. चरणदास महंत से मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। विधायक दल ने दलील दी थी कि 126 वें संविधान संशोधन का अनुसमर्थन करने बुलाए जा रहे सत्र में ही राज्यपाल के अभिभाषण के बाद कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी। जबकि मान्य परंपराओं के मुताबिक विपक्ष के सदस्य कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपना संशोधन देते हैं। यह कभी नहीं हुआ कि जिस दिन अभिभाषण हुआ हो, उस दिन ही उस पर चर्चा कराई गई हो। इसकी अपनी प्रक्रिया है।
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