Monday, 9th June 2025

निर्भया केस / चारों दोषियों ने 23 बार जेल के नियम तोड़े; मजदूरी करके 1.37 लाख रुपए भी कमाए

Wed, Jan 15, 2020 8:43 PM

 

  • विनय शर्मा को सबसे ज्यादा 11 बार जेल के नियमों को तोड़ने की सजा दी गई
  • अक्षय ने जेल में मजदूरी करके चारों दोषियों में सबसे ज्यादा 69 हजार रु. कमाए
  • चारों दोषियों के परिजन को फांसी से पहले दो बार मिलने की अनुमति दी गई है

 

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप केस में फांसी की सजा पाए 4 दोषियों ने तिहाड़ में रहते हुए 23 बार जेल के नियमों को तोड़ा और इनमें से तीन ने मजदूरी करते हुए 1.37 लाख रुपए भी कमाए। तिहाड़ जेल के अफसरों के मुताबिक, नियम तोड़ने के आरोप ने विनय शर्मा को 11, पवन गुप्ता को 8, मुकेश सिंह को 3 और अक्षय ठाकुर को एक बार सजा दी गई। 7 जनवरी को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया था। कोर्ट ने चारों दोषियों को एक साथ 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाने का वक्त मुकर्रर किया है।

सूत्रों के मुताबिक, मुकेश ने जेल में मजदूरी नहीं करने का फैसला किया। अक्षय ने मजदूरी कर 69 हजार रु., पवन ने 29 हजार और विनय ने 39 हजार रु. कमाए। अक्षय ठाकुर ने सबसे ज्यादा रुपए कमाए। विनय के पिता मंगलवार को तिहाड़ में उससे मिलने पहुंचे। सभी चारों दोषियों के परिजन को फांसी से पहले दो बार मिलने की अनुमति दी गई है। अन्य दोषी अक्षय के परिवार वाले पिछले साल नवंबर में उससे मिले थे और वह सामान्यत: फोन पर ही अपने परिजन से बात करता है। फांसी मुकर्रर होने के बाद विनय के अलावा किसी के परिवार वाले मिलने नहीं पहुंचे हैं।

तीन दोषी कक्षा 10 की परीक्षा भी पास नहीं कर पाए
सूत्रों के मुताबिक, पवन जल्लाद फांसी के दो दिन पहले दिल्ली पहुंचेगा। सूत्रों के मुताबिक, एक दोषी को फांसी देने पर जल्लाद को 15 हजार रुपए मिलेंगे। इसके बाद इनके शव को परिवार वालों को सौंप दिया जाएगा।  मुकेश, पवन और अक्षय 2016 में 10वीं कक्षा में नामांकन करवाया था। वे परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन पास नहीं कर पाए। विनय ने 2015 में बैचलर डिग्री में नामांकन करवाया था, लेकिन पूरा नहीं कर पाया। तिहाड़ में मौत की सजा पाए 12-14 दोषी बंद हैं।

वारदात के 2578 दिन बाद डेथ वॉरंट जारी हुआ था
चारों दोषियों को जेल नंबर 3 में फांसी दी जाएगी। तीन दोषी जेल नंबर 2 में रखे गए हैं और एक को जेल नंबर 4 में रखा गया है। निर्भया के केस में वारदात के 2578 दिन बाद डेथ वॉरंट जारी हुआ था। 16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंगरेप का शिकार हुई थी। नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी।

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