Monday, 9th June 2025

रायसीना डायलॉग / विदेश मंत्री बोले- एक समय था, जब हम बोलते ज्यादा थे, काम कम करते थे; अब हमारी भूमिका निर्णायक की होगी

Wed, Jan 15, 2020 8:41 PM

 

  • भारतीय विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक की ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में बोले जयशंकर
  • विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- भारत अपनी पुरानी छवि में फंसा था, हम उसे तोड़ने की कोशिश कर रहे
  • रायसीना डायलॉग का यह 5वां साल, इस बार 17 देशों के मंत्री और विदेश नीति के जानकार कॉन्फ्रेंस में पहुंचे

 

नई दिल्ली.  विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को रायसीना डायलाॅग के सत्र में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने 21वीं सदी के लिए भारत के रोडमैप पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा, “मुझे लगता है कि आने वाले समय में भारत की भूमिका एक स्थिरता फैलानी वाली ताकत के तौर पर होगी। भारत आतंक के खिलाफ सख्ती से निपट रहा है, लेकिन कई मामलों में हम पुरानी छवि में कैद हो कर रह गए थे। हम बोलते ज्यादा थे और काम कम करते थे। हालांकि, अब हम उस छवि को तोड़ने की कोशिश में हैं। अब हमें दूर से खड़े होकर देखने वालों की जगह निर्णय लेने वाली ताकत बनना होगा।”

  • जयशंकर ने आगे कहा,  “दुनिया में पहले ही तनाव और अशांति फैलाने वाली ताकतें हैं। किसी को इनसे निपटना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी फैलाना और स्वार्थी-व्यापारी की तरह व्यवहार करना भारत का तरीका नहीं।”
  • “भारत एक ऐसा देश है, जो आगे दुनिया की भलाई के लिए अपनी क्षमताओं को इस्तेमाल में लाएगा। जरूरी है कि हम वैश्विक, कानून को मानने वाले और सलाह मशविरे से फैसला करने वाले देश की छवि बनाएं।” 
  • “दुनिया को सुरक्षा देना, आतंकवाद जैसी चुनौतियों का निपटारा करना, यह भारत का तरीका है। भारत वह देश है जिसकी अपनी संस्कृति है, जो जलवायु परिवर्तन जैसे अहम मुद्दों पर आगे दुनिया का ध्यान आकर्षित करेगा।”

‘पड़ोसियों में आपसी मामलों की समझ होना जरूरी’
चीन से रिश्तों पर विदेश मंत्री ने कहा, “यह अहम है कि दो पड़ोसी कुछ अहम मामलों पर समझ विकसित करें। न ही भारत और न ही चीन दोनों देशों के रिश्तों को खराब करेंगे। हमारे रिश्ते अनोखे हैं। यह जरूरी है कि दो देश आगे बढ़ने के साथ रिश्तों में संतुलन भी हासिल करें। 

ईरान-अमेरिका तनाव पर भी बोले जयशंकर
जयशंकर ने ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव पर भी राय रखी। उन्होंने कहा कि अमेरिका और ईरान दो स्वायत्त देश हैं, इसलिए किसी भी फैसले पर उनका अधिकार है। आखिर में वही होगा, जो दोनों देश चाहेंगे। 

रूसी विदेश मंत्री ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बुधवार को दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आयोजित रायसीना डायलॉग में दोनों देशों के करीबी रिश्तों पर चर्चा की। लावरोव ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करते हैं। हमें लगता है कि भारत को इस समूह का हिस्सा होना ही चाहिए। 

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव।

रूसी विदेश मंत्री ने कहा- “अमेरिका, जापान और बाकी देशों की तरफ से आगे बढ़ाई जा रही हिंद-प्रशांत क्षेत्र की धारणा पहले से मौजूद स्थायी ढांचों को बदलने की कोशिश है।” लावरोव ने चीन का पक्ष लेते हुए कहा कि किसी न्यायसंगत लोकतांत्रिक व्यवस्था को ताकत के दम पर प्रभावित करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। 

‘किसी को घेरने की कोशिश ठीक नहीं’

उन्होंने पूछा- “हिंद-प्रशांत और एशिया प्रशांत बनाने की क्या जरूरत है? जवाब साफ है आप चीन को अलग करना चाहते हैं। जबकि हमारा काम लोगों को जोड़ने का होना चाहिए, न कि बांटने का। हम इस मामले में भारत की नीति का समर्थन करते हैं- जिसका आधार ही यह है कि किसी को घेरने या दबाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) और ब्रिक्स दोनों ही अलग-अलग क्षेत्र में मौजूद देशों को जोड़ने वाले समूह हैं।”

14 जनवरी से शुरू हुए रायसीना डायलॉग के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री मोदी भी पहुंचे थे।

क्या है रायसीना डायलॉग?
रायसीना डायलॉग पहली बार 2015 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया था। हर साल इसमें अलग-अलग देशों के प्रमुख और विदेश मंत्री पहुंचते हैं। इस साल 17 देशों के मंत्री और विदेश नीति के जानकार कार्यक्रम में पहुंचे हैं। इनमें ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अन्य नेता पहुंचे हैं। 

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