कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दो दिन के दौरे पर हैं। बेलूर मठ में रविवार को उन्होंने कहा कि नागरिकता कानून किसी की नागरिकता छीनेगा नहीं बल्कि देगा, गांधीजी मानते थे भारत को पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को सिटिजनशिप देनी चाहिए। इसके बाद मोदी कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150वें साल में प्रवेश करने के कार्यक्रम में भी शामिल हुए। मोदी ने कोलकाता पोर्ट को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की भी घोषणा की।
‘युवा ही सीएए पर भ्रम दूर कर रहे’
बेलूर मठ में मोदी ने कहा कि कुछ लोग सीएए को लेकर भ्रम फैला रहे हैं, मुझे खुशी है कि युवा ही उनका यह भ्रम दूर कर रहा है। पाकिस्तान में जिस तरह दूसरे धर्म के लोगों पर अत्याचार होता है, उसको लेकर हमारा युवा ही आवाज उठा रहा है। नागरिकता कानून में हम संशोधन न लाते, तो किसी को यह पता ही न चलता कि पाकिस्तान में कैसे मानवाधिकार का हनन हुआ है। कैसे बहन-बेटियों के अधिकारों को खत्म किया गया है।
‘‘जागरूक रहते हुए जागरूकता फैलाना, दूसरों को जागरूक करना भी हम सभी का दायित्व है। कई विषय हैं, जिसको लेकर समाज जागरण, जनचेतना आवश्यक है। जैसे पानी ही लें। पानी बचाना, सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ आंदोलन हो या गरीबों के लिए योजनाएं, इन सभी के लिए जागरूकता बढ़ाना देश की बड़ी मदद करेगा। हमारी संस्कृति और संविधान यही अपेक्षा करता है कि नागरिक के तौर पर हम अपने दायित्वों को पूरी ईमानदारी और समर्पण से निभाएं। आजादी के 70 साल बाद हमने अधिकार अधिकार लिए, लेकिन अब हर भारतीय का कर्तव्य भी उतना ही महत्वपूर्ण होना चाहिए।’’
‘स्वामीजी के कमरे में आज भी चेतना है’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज फिर एक बार स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के पावन पर्व पर पूज्य संतों के बीच बड़े मनोयोग से कुछ पल बिताने का सौभाग्य मिला। स्वामी विवेकानंद जिस कमरे में ठहरते थे, वहां एक आध्यात्मिक चेतना है। मैंने भी वहां समय बिताया। यह जीवन का अमूल्य समय था। ऐसा अनुभव हो रहा था कि पूज्य स्वामीजी हमें और कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, नई ऊर्जा भर रहे हैं। स्वामीजी कहते थे कि सबकुछ भूल जाओ और मां भारती की सेवा में जुट जाओ।’’
‘कोलकाता पोर्ट आध्यात्मिकता-आत्मनिर्भरता का प्रतीक’
मोदी ने कहा, ‘‘कोलकाता पोर्ट ने भारत को विदेश राज से स्वराज पाते हुए देखा है। सत्याग्रह से लेकर स्वच्छाग्रह तक देश को बदलते देखा है। यह पोर्ट सिर्फ मालवाहकों का स्थान नहीं रहा, बल्कि दुनिया में छाप छोड़ने वाले लोगों के कदम भी इस पर पड़े। अनेक अवसरों पर महान लोगों ने यहीं से अपनी शुरुआत की। कोलकाता का यह पोर्ट अपनी आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता का जीता जागता प्रतीक है। जब यह पोर्ट 150वें साल में प्रवेश कर रहा है, तो इसे न्यू इंडिया के निर्माण का ऊर्जावान प्रतीक बनाना हमारा दायित्व है।’’
‘डॉ. मुखर्जी और बाबासाहेब ने जलसंसाधनों की अहमियत समझी’
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘‘डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और बाबासाहेब अंबेडकर दोनों ने स्वतंत्रता के लिए नई नई नीतियां दी थीं। नया विजन दिया था। डॉ मुखर्जी की बनाई पहली औद्योगिक नीति में देश के जल संसाधनों के उचित उपयोगों पर जोर दिया गया, तो बाबासाहेब ने देश की पहली जलसंसाधन नीति और श्रमिकों से जुड़े कानून के निर्माण को लेकर अपने अनुभव का प्रयोग किया। देश में नदी, डैम्स और पॉट्स का निर्माण तेजी से हो पाया तो इसका बड़ा श्रेय इन दोनों महान सपूतों को जाता है। इन दोनों ने देश के संसाधनों की शक्ति को समझा था, उसे देश की जरूरत के मुताबिक उपयोग करने पर जोर दिया था।’’
‘‘कोलकाता में 1944 में वॉटर पॉलिसी को लेकर हुई कॉन्फ्रेंस में बाबासाहेब ने कहा था कि भारत की वॉटर पॉलिसी व्यापक होनी चाहिए। इसमें खेती, बिजली और वॉटरवेज का समावेश होना चाहिए। देश का दुर्भाग्य रहा कि दोनों के सरकार से हटने के बाद सरकारों ने उनके विचारों पर वैसा अमल नहीं किया, जैसा किया जाना था।’’
मोदी के साथ मुलाकात बस एक शिष्टाचार भेंट थीः ममता
ममता ने शनिवार को कहा, “वे बंगाल आए, इसलिए उनके साथ यह बस एक शिष्टाचार भेंट थी। मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर को राज्य की जनता स्वीकार नहीं कर रही है। मैंने उन्हें इस कदम पर फिर से सोचने का अनुरोध किया। मैंने उन्हें याद दिलाया कि चक्रवात बुलबुल से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 7 हजार करोड़ सहित 38 हजार करोड़ रुपए केंद्र पर बकाया है।” ममता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली पहुंचकर दोनों मुद्दों पर चर्चा का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री आज नेताजी सुभाष डॉक पर कोचीन-कोलकाता इकाई के अपग्रेजेज शिप रिपेयर फैसिलिटी का भी उद्घाटन करेंगे।
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