इंदौर. संघ प्रमुख मोहन भागवत के सात दिनी प्रवास और बैठकों के दौर के बाद एक बात बिलकुल स्पष्ट हो गई है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नए साल का पहला एजेंडा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) ही होगा। तीन दिन चली बैठकों में यूं तो प्रांतवार प्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र के बारे में बात की गई, पर संघ ने पूरा ध्यान इस बिंदु पर केंद्रित किया, जिसे वह दशकों से अपना कोर मुद्दा मानता आया है।
राम मंदिर, धारा 370 के बाद नागरिकता संशोधन कानून पर संगठन ने व्यापक जनसमर्थन जुटाने की योजना बनाई है। इसके तहत अब एक व्यक्ति के बजाय पूरे परिवार को जोड़कर यह बताया जाएगा कि सीएए देश के लिए क्यों जरूरी है। बीते 15 दिन से शाखाओं में भी चर्चा का यह बड़ा मुद्दा है।
इंदौर में 12 जनवरी को प्रस्तावित सीएए की समर्थन रैली को मध्य भारत की सबसे बड़ी रैली बनाने की तैयारी चल रही है। बातचीत में संघ पदाधिकारियों ने कहा कि हमारा लक्ष्य 3 लाख से ज्यादा लोग एकत्र करने का है। संघ से जु़ड़े लोग बताते हैं कि सीएए को राम मंदिर की तरह बड़ा आंदोलन बनाने की तैयारी है।
इसके बाद अब संघ और भाजपा के पास ऐसा कोई एजेंडा नहीं है, जिस पर हिंदू समाज को एक साथ सड़क पर लाया जा सके। इसके लिए सोशल मीडिया के साथ हर कार्यकर्ता को यह कहा जा रहा है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीएए के समर्थन की रैली-प्रदर्शन में लाने के लिए प्रेरित करे।
हर शहर के आंदोलन पर नजर
इंदौर में संघ प्रमुख के साथ अनौपचारिक चर्चाओं में संघ पदाधिकारियों ने करीब एक महीने से देशभर में चल रहे आंदोलनों का आकलन कर यह निष्कर्ष निकाला कि इसका लाभ अंतत: हिंदुओं को एक करने के रूप में मिल रहा है।
बैठक में पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, मुंबई के आंदोलन पर यह तक देखा गया कि विरोध करने वालों के साथ कितनी भीड़ थी और समर्थन में निकली रैलियों में कितने लोग जुटे। असम को लेकर जरूर चिंता जताई गई पर कुल मिलाकर बाकी देश में इसको लेकर बंटे जनमानस के बीच संघ यह मान रहा है कि हिंदू समाज से जुड़े अधिसंख्य लोग नागरिकता संशोधन कानून पर उसके मत के साथ हैं।
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