बड़ा तालाब- हमारी धरोहर है, लेकिन यह हमारे सिस्टम की नाकामी ही है कि इसे हम इसे प्रदूषित होने से नहीं बचा पा रहे हैं। इसमें रोजाना 1 करोड़ लीटर(10 एमएलडी) सीवेज मिल रहा है।
ऐसे में एनजीटी की एक पहल कारगर साबित हो सकती है।
यह है पहल- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनलने छह माह पहले अगस्त 2019 में केंद्र व राज्यों को आदेश जारी किया था कि वे 31 मार्च 2020 तक सुनिश्चित करें कि नदी-पेयजल स्रोतों में पूर्णत: अनट्रीटेड सीवेज व वेस्ट वाटर का मिलना बंद कराएं। ऐसा नहीं होने की स्थिति में संबंधित नगरीय निकायों या औद्योगिक ईकाई से हर माह प्रति नाला 5 लाख रुपए का हर्जाना वसूल किया जाए।
यह फैसला बाध्यकारी है- क्योंकि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किए थे, इस आदेश के पालन के लिए पूर्व में काफी वक्त दिया जा चुका है। एनजीटी ने 31 मार्च की अंतिम डेडलाइन इसी आधार पर तय की थी।
निगम पर असर- राजधानी में निर्माणाधीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के निर्माण में हो रही देरी नगर निगम को आर्थिक रूप से भारी पड़ सकती है। आगामी वित्तीय वर्ष से निगम को गंदे नालों के कारण लगभग एक करोड़ रुपए प्रति माह एनवायरोमेंट कंपनसेशन (पर्यावरण के नुकसान के बदले हर्जाना) भरना पड़ सकता है।
कौन लेगा हर्जाना- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ।
सच यह है- राजधानी में अभी लगभग 20 ऐसे गंदे नाले हैं, जो भोज वेटलैंड (बड़ा तालाब) और कलियासोत नदी (बेतवा की प्रमुख सहायक नदी) और हलाली नदी में अनट्रीटेड सीवेज छोड़ रहे हैं।
बड़े तालाब में यह नाले मिल रहे
यहां एसटीपी नहीं- फतेहगढ़ नाला, सीहोर नाका, बेहटा गांव, राहुल नगर, बोरवन गांव, बोरवन पार्क, राजेन्द्र नगर, इंदिरा नगर, संजय नगर।
निर्माणाधीन एसटीपी बंद- शिरीन नदी, जमुनिया छीर, सूरज नगर
यहां एसटीपी हैं- कोहेफिजा नाला, हलालपुरा नाला, प्रेमपुरा।
राजधानी में वर्तमान में कुल सीवेज लाइन नेटवर्क 466 किमी. है
अभी इंफ्रास्ट्रक्चर- राजधानी में वर्तमान में कुल सीवेज नेटवर्क 466 किमी. है। पूर्व से संचालित 8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, इनकी कुल शोधन क्षमता 71.01 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट की है।
निर्माणाधीन इंफ्रास्ट्रक्चर- अमृत योजना के तहत 135 करोड़ की लागत से 353.5 िकमी नेटवर्क बिछाने का काम जारी है। इसमें 78.5 किमी का हिस्सा पुराने नेटवर्क के मेंटेनेंस का है। 19 एसटीपी का निर्माण प्रस्तावित है। कुल क्षमता 111.63 एमएलडी होगी।
समाधान मुश्किल क्योंकि
प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा करेंगे
मौजूदा सीवेज प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन मई 2020 तक है। बचे हुए समय में इसे पूरा कर ही लेंगे। फिर भी शहर का 50 फीसदी से अधिक सीवेज एसटीपी नेटवर्क से बाहर ही रहेगा। जहां तक एनजीटी के आदेश का सवाल है, हम अपना पक्ष उनके सामने रखेंगे। हमने 100 फीसदी सीवेज नेटवर्क कवर के लिए एक हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार कर केंद्र को भेजा है, जिसकी मंजूरी का इंतजार है।पवन कुमार सिंह, अपर आयुक्त,सीवेज प्रोजेक्ट प्रभारी
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को इस बारे में विस्तार से जानकारी दी जा चुकी है। यदि 31 मार्च तक सभी नालों पर एसटीपी नहीं भी बन पाते हैं, तो तब तक अस्थाई रूप से ऐसी व्यवस्था करें जिससे गाद को तो कम से कम रोका जा सके।एचएस मालवीय, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर, एमपीपीसीबी
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