नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड का एक दोषी विनय शर्मा गुरुवार को फांसी की तारीख से 11 दिन पहले फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। उसने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की। उसने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट सहित सभी अदालतों ने मीडिया और राजनेताओं के दबाव में पूर्वाग्रह से फैसला दिया। विनय ने दावा किया कि उसे गरीब होने के कारण मौत की सजा सुनाई गई है। जेसिका लाल हत्याकांड का हवाला देकर उसने दावा किया कि मनु शर्मा ने भी महिला की निर्दयी, नृशंस और अकारण हत्या की थी, लेकिन ताकतवर राजनीतिक परिवार से होने के कारण उसे सिर्फ उम्रकैद की सजा दी गई।
विनय ने याचिका में न्यूरोलॉजी के हवाले से कहा कि युवा अपराध के समय अपने काम का मूल्यांकन नहीं कर पाते। अपराध के वक्त वह नशे में था। पीड़िता के दोस्त से हाथापाई भी हुई थी, इसलिए वह अपराध का मूल्यांकन और उसके परिणाम समझने की स्थिति में नहीं था। विनय ने गरीब और बूढ़े माता-पिता का हवाला देते हुए कहा कि फांसी हुई तो उसका पूरा परिवार नष्ट हो जाएगा। उसने दुष्कर्म और हत्या के 17 मामले भी कोर्ट को बताए हैं, जिनमें मौत की सजा उम्रकैद में बदली जा चुकी है।
‘बंद कमरे में सुनवाई, पुराने तथ्यों पर विचार नहीं होगा’
सीनियर एडवोकेट जयंत सूद के मुताबिक, क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट बंद कमरे में सुनवाई करता है। पुराने तथ्यों पर नहीं, सिर्फ उसी तथ्य पर सुनवाई होती है, जिसके तहत दावा किया जाता है कि फैसला लेते वक्त उसकी अनदेखी की गई। बात उचित लगने पर कोर्ट निर्णय बदल सकता है, नहीं तो याचिका खारिज कर दी जाती है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने वाले जज ही पिटीशन पर अपने चैंबर में सुनवाई करते हैं। क्यूरेटिव याचिका खारिज होने की संभावना अधिक रहती है।
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