Tuesday, 10th June 2025

उत्तर प्रदेश / निर्भया के गांव में खुशी का माहौल, चचेरी बहन बोली- दरिंदों को फांसी होने के बाद जश्न मनाएंगे

Wed, Jan 8, 2020 8:10 PM

 

  • निर्भया उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के मेढ़वरा कलां गांव की रहने वाली थी
  • दोषियों के डेथ वारंट जारी होने के बाद मंगलवार को गांव में मिठाई बांटी गई
  • निर्भया के चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा

 

बलिया (उत्तर प्रदेश). निर्भया के चारों गुनहगारों का डेथ वारंट जारी होने के बाद से बलिया के मेढ़वरा कलां गांव में खुशी का माहौल है। यह निर्भया का पैतृक गांव है। मंगलवार को कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित के परिजन और ग्रामीणों ने मिठाई बांटी। दिल्ली कोर्ट ने दोषी अक्षय, पवन, मुकेश और विनय को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे मौत फांसी देने का वक्त मुकर्रर किया है।

निर्भया के माता-पिता दिल्ली में रहते हैं। लेकिन, परिवार के अन्य सदस्य गांव में ही रहते हैं। निर्भया के चाचा और दादा ने फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए कोर्ट को शुक्रिया कहा। वहीं, गांव की लड़कियों ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन उचित फैसला आया है। अगर कोर्ट से दोषियों को राहत मिल जाती लोगों का कानून से भरोसा उठ जाता।

फांसी के बाद पूरे गांव में खुशी मनाएंगे: निर्भया की चचेरी बहन

निर्भया की चचेरी बहन ने कहा कि जिस दिन दोषियों को फांसी दी जाएगी, तब पूरे गांव में खुशी मनाई जाएगी। ऐसे मामलों में कोर्ट को तेजी से निर्णय करना चाहिए, ताकि अपराधियों के मन में डर और लोगों का न्याय पर भरोसा मजबूत हो।

निर्भया की मां ने कहा- इंसाफ मिला
उधर, दिल्ली में मंगलवार को निर्भया की मां आशा देवी ने कोर्ट का फैसला आने के बाद कहा कि बेटी को इंसाफ मिल गया है। दोषियों की फांसी की सजा देश की महिलाओं को ताकत देगी। डेथ वॉरंट के फैसले से लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा मजबूत हुआ। वहीं, निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने कहा- मैं अदालत के फैसले से खुश हूं। यह फैसला इस तरह का अपराध करने वालों के मन में डर पैदा करेगा।

निर्भया के साथ 6 लोगों ने बस में दरिंदगी की थी

16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में निर्भया से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की थी। गंभीर जख्मों के कारण 26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। छात्रा को लोगों ने निर्भया नाम दिया। इस मामले में पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी की सजा सुनाई गई। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल के बाद सुधार गृह से छूट चुका है।

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