तेहरान. ईरान के सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद से अमेरिका से विवाद गहरा गया है। मंगलवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी फौजों को आतंकी घोषित कर दिया। रूहानी ने यह भी कहा, “जो लोग बार-बार 52 नंबर याद दिलाते हैं, उन्हें 290 नंबर भी याद रखना चाहिए। किसी को भी अमेरिका को धमकी नहीं देनी चाहिए।”
आज ही सुलेमानी को सुपुर्दे खाक भी किया जाना है। उनके जनाजे में लाखों की संख्या में लोग जुटे। इस पर ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, “क्या डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पूरी जिंदगी में इतनी भीड़ देखी है? क्या तुम अब भी क्षेत्र के बारे में जानकारी के लिए अपने जोकरों पर निर्भर रहोगे? क्या तुम्हें अभी भी लगता है कि तुम इस महान देश और इसके लोगों को तोड़ सकते हो। पश्चिमी एशिया से अमेरिका की शैतानी मौजूदगी का खात्मा शुरू हो गया है। सुलेमानी को अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट पर ड्रोन हमले में मार गिराया था।
क्या है नंबर 52 और 290?
दरअसल, 1979 में ईरानी प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी दूतावास पर हमला कर 52 राजनयिकों को बंदी बना लिया था। उन्हें 444 दिन तक जेलों में रखा गया था। ट्रम्प ने हाल ही में इसका जिक्र करते हुए ईरान के 52 ठिकानों को निशाना बनाए जाने का जिक्र किया था।
अमेरिकी वॉरशिप ने 1988 में ईरान एयरलाइंस के नागरिक विमान को निशाना बनाया था। इसमें 290 लोगों की मौत हुई थी। रूहानी ने अमेरिका की खिलाफत के लिए ट्वीट में जिस 290 नंबर का जिक्र किया। वो इसी घटना से जुड़ा है। कुद्स सेना के नए जनरल हुसैन सलामी ने कहा कि शहीद होने के बाद जनरल कासिम सुलेमानी और ज्यादा ताकतवर हुए हैं। दुश्मन ने उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से मारा।
जनरल सुलेमानी के जनाजे में शामिल हुई छात्राएं
जनरल कासिम सुलेमानी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके जनाजे में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा रही। इनमें स्कूल-कॉलेज की छात्राएं भी शामिल रहीं। ज्यादातर लोग ‘डेथ टू ट्रम्प’ (ट्रम्प को मौत) के नारे लगा रहे थे।
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