राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव के आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को फफूंद लगा भोजन कराया जा रहा है। इस रेडी-टू-ईट को फफूंद लगे चने से ही बनाया गया। मामले का खुलासा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के आकस्मिक निरीक्षण से हुआ है। इसके बाद अधिकारियों ने भोजन बनाने वाले स्वयं सहायता समूह को फटकार लगाई और नोटिस जारी किया है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि दोबारा मामला सामने आने के बाद उनका पंजीयन रद्द कर दिया जाएगा।
निरीक्षण के दौरान स्पष्ट हो गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को खटिया भोजन परोसा जा रहा है। जिले के अधिकांश समूह मिस ब्रांडेड रेडी-टू-ईट का निर्माण कर रही हैं। वहीं खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 का पालन नहीं किया जा रहा है। कई तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (एफएसएसएआई) से पंजीयन तक नहीं कराया है। यहां तक कि उत्पाद पर बनाने की तारीख तक हाथ से लिखी जा रही है। लूज पैकेजिंग होेने से प्रोडक्ट जल्द खराब हो रहे हैं।
जिले में 3 हजार आंगनबाड़ियों का संचालन किया जा रहा है। इन आंगनबाड़ियों में 1,22,444 बच्चें पढ़ रहे हैं। इसमें से 20819 बच्चें मध्यम कुपोषण की श्रेणी में हैं। बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने की तमाम योजनाएं यहां पर दम तोड़ती नजर आती हैं। इससे पहले दैनिक भास्कर ने नवंबर में आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच की थी, इसमें भी रेडी-टू-ईट निर्माण की हकीकत का खुलासा किया था। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए। इसके बाद एक स्थान पर जिस चने से फूड प्रोडक्ट का निर्माण किया जा रहा था, उसमें फफूंद लगा मिला।
हां निरीक्षण के दौरान एक स्थान पर फफूंद लगे हुए चने से रेडी-टू-ईट का निर्माण किया जा रहा था। समूह को नोटिस जारी किया गया है, साथ ही फूड प्रोडक्ट का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। सभी समूहों को निर्देश जारी कर फूड प्रोडक्ट की गुणवत्ता का ख्याल रखने कहा गया है।रेणु प्रकाश, परियोजना अधिकारी
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