भाेपाल (वंदना श्राेती). पेंच नेशनल पार्क में टेरिटोरियल फाइट में घायल हुई कॉलर वाली बाघिन को बिना रेस्क्यू किए डाॅट तकनीक से इलाज किया गया। बाघिन अब पूरी तरह स्वस्थ है। प्रदेश में डॉट तकनीक से घायल बाघिन के इलाज का यह पहला मौका है। इससे वन अफसरों को राहत मिलेगी, जिन्हें घायल बाघ - बाघिन काे इलाज के लिए रेस्क्यू करना पड़ता था।
पीसीसीएफ वन एवं वाइल्ड लाइफ यू प्रकाशम ने डॉट पद्धति से नेशनल पार्क में घायल बाघिन का इलाज पहली बार किए जाने का दावा किया है। पेंच नेशनल पार्क के अफसरों ने बताया कि बाघिन के शावकों पर बाघ ने हमला किया था। बाघिन ने जवाबी हमला किया। बाघ भाग गया। लेकिन बाघिन बुरी तरह जख्मी हो गई।
बाघिन के जख्मी होने की जानकारी एक पर्यटक ने पार्क प्रबंधन को दी। उसने पार्क प्रबंधन को घायल बाघिन के फोटो भी मुहैया कराए थे। सूचना मिलने के बाद पार्क प्रबंधन ने घायल बाघिन को ट्रेप कैमरों की मदद से लोकेट किया।
ट्रंकुलाइज गन से डॉट में दी दवा
डॉट एक इंजेक्शन है, जिसे डॉट प्रोजेक्टर (ट्रंकुलाइज गन) से छोड़ा जाता है। इसके एक सिरे पर नीडिल व पीछे 5 से 8 इंच का सिलेंडरनुमा डॉट होता है, जिसमें दवा भरी जाती है। इसके पीछे एयर प्रेशर और स्टेबलाइजर रहता है। डॉ. मिश्रा के अनुसार डॉट को बाघिन के घाव पर निशाना लगाकर फायर किया। डॉट में लगे एयर प्रेशर से दवा बाघिन के शरीर में इंजेक्ट हो गई व डॉट अलग गिर गया।
क्याें है खास काॅलर वाली बाघिन
काॅलर वाली बाघिन प्रदेश की ही नहीं देश की सबसे प्रसिद्ध बाघिन है। इसने 15 साल की उम्र में 29 शावकाें काे जन्म दिया। यह एक बार में चार शावकाें काे जन्म देती थी। यह उस समय चर्चा में अाई जब इसने 5 अक्टूबर 2010 काे पांच शावकाें काे जन्म दिया। इसके नाम पर डाक टिकट भी जारी किया गया था।
शावकों की सुरक्षा जरूरी थी इसलिए रेस्क्यू के बजाय डॉट
पेंच नेशनल पार्क के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश मिश्रा ने बताया कि बाघिन को रेस्क्यू करने का प्लान बनाया गया था, ताकि ट्रीटमेंट केज में रखकर अच्छे से इलाज किया जा सके। लेकिन, बाघिन के साथ तीन शावकों की मौजूदगी के कारण इस प्लान को कैंसिल कर दिया। उन्होंने बताया कि बाघिन अपने जख्मों को जीभ से चाटकर ठीक कर रही थी। बाघिन लगातार टेरिटोरियल फाइट कर रही थी। शावकाें की सुरक्षा के लिए बाघिन का इलाज डाॅट पद्धति से करने का फैसला लिया था।
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